- Published by- Anshul Gaurav, Tuesday, 22 Febraury, 2022
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक शुरू हो चुकी है। पश्चिमी देशों को इस बात का डर है कि रूस किसी भी समय यूक्रेन पर हमला कर सकता है। साथ ही, इन देशों का मानना है कि पूर्वी यूक्रेन में झड़पों को रूस हमला करने के लिए बहाने के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है।
दरअसल, सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थित अलगाववादी क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता देने की घोषणा कर दी है। पुतिन के इस फैसले की अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसा देशों ने निंदा की है। इस फैसले से यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की पश्चिम देशों की आशंका के बीच तनाव और बढ़ सकता है। इसी के साथ मॉस्को समर्थित विद्रोहियों और यूक्रेनी बलों के बीच संघर्ष के लिए रूस के खुलकर बल और हथियार भेजने का रास्ता साफ हो गया है।
भारत और चीन का रुख एक; UN charter के तहत, संयम बरतने की अपील
इस बीच भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मीटिंग में किसी एक पक्ष का समर्थन या विरोध करने की बजाय संयम बरतने की अपील की है। इसके अलावा चीन भी भारत की तरह ही कुछ भी टिप्पणी करने से बच रहा है। चीन का कहना है कि इस विवाद का हल यूएन चार्टर के तहत शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए। यूएन में चीन के अंबेसडर झांग जुन ने कहा कि सभी पक्षों को शांति बरतने पर फोकस करना चाहिए और कूटनीतिक ढंग से विवाद हल करने पर काम होना चाहिए
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कब्जे का ऐलान कर फंस गए पुतिन; नहीं चाहते खूनी संघर्ष, पश्चिमी देश अपना रहे नकारात्मक रवैया- रूस
रूस ने यूक्रेन के दो प्रांतों पर ‘कब्जे’ का ऐलान तो कर दिया लेकिन इसके बाद उनके लिए ही मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। रूस के ऐलान के बाद अमेरिका और अन्य कई पश्चिमी देश ऐक्शन में आ गए हैं। अमेरिका समेत कई देशों ने इस कदम की निंदा की। फ्रांस और जर्मनी भी इस बात पर सहमत है कि इसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके उलट, UNSC की बैठक में रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि डिप्लोमैटिक हल के रास्ते खुले हैं औऱ उसका यूक्रेन में खूनी संघर्ष का इरादा नहीं है। रूस ने कहा कि कई पश्चिमी देश नकारात्मक रवैया अपना रहे हैं। रूस का कहना है कि डोनाबास में हिंसा न हो तो अच्छा है।
ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड के साथ साउथ कोरिया ने भी लिया यूक्रेन का पक्ष
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि रूस को बिना किसी शर्त के यूक्रेन के प्रांत से वापस लौट आना चाहिए। ऑस्ट्रेलिया का मानना है कि पड़ोसी को धमकाने की नीति छोड़ देनी चाहिए। रूस के इस कदम से युद्ध की आशंका प्रबल हो गई है जो कि पूरी दुनिया के लिए ठीक नहीं है। वहीं, न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री ने कहा कि इस तरह से अलगाववादी क्षेत्रों पर कब्जे का ऐलान करके रूस यूक्रेन की संप्रभुता को नुकसान पहुंचा रहा है। मुझे आश्चर्य है कि रूस के राष्ट्रपति ऐसा कर रहे हैं। क्या यह युद्ध के पहले की कार्यवाही है। अगर ऐसा है तो बातचीत से इसका हल निकालना चाहिए। इसके अलावा, रूस और यूक्रेन के बीच के तनाव को लेकर साउथ कोरिया ने कहा कि वह यूक्रेन की प्रभुता और अखंडता का समर्थन करते हैं इस तरह से रूस का कदम उठाना गलत है। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक अगर तनाव जारी रहा तो आर्थिक अस्थिरता भी आ सकती है।
तो क्या यूक्रेन के इन दो प्रांतों में रूस बनाएगा मिलिट्री बेस?
यूक्रेन के दो अलगाववादी प्रांतों पर कब्जा करने के बाद अब रूस यहां मिलिट्री बेस बना सकता है। रूस की संसद के सामने व्लादिमीर पुतिन ने दस्तावेज पेश किए और कहा कि यह उनका अधिकार है कि वह दो प्रांतों में सैन्य छावनियां बनाएँ।