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गुजरात के सरकारी सेप्टिक टैंक में सफाई कर्मी की मौत, भाई का सवाल- मशीन के बावजूद टंकी में क्यों उतारा

गुजरात के भावनगर शहर से इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। एक सरकारी प्रयोगशाला के परिसर में सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान सफाई कर्मचारी की मौत हो गई। सेप्टिक टैंक की जहरीली गैस के प्रभाव से एक अन्य सफाई कर्मचारी के बीमार होने की भी खबर है।
एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि घटना शुक्रवार को केंद्रीय नमक और समुद्री रसायन अनुसंधान संस्थान के परिसर में हुई।

पहले घुसा कर्मचारी बेहोश, दूसरे ने खुद को कुर्बान कर बचाई जान
नगर निगम आयुक्त एनवी उपाध्याय ने कहा कि भावनगर नगर निगम (बीएमसी) के कुछ सफाई कर्मचारी जेटिंग मशीन का उपयोग करके सेप्टिक टैंक की सफाई कर रहे थे प्रयोगशाला का एक सफाई कर्मचारी सफाई के लिए टैंक में घुसा और जहरीली गैस से प्रभावित हो गया। उसे सुरक्षित लाने के लिए, दूसरा कर्मचारी (वेगड़) टैंक में घुसा। वह पहले घुसे कर्मचारी को बचाने में तो कामयाब रहा, लेकिन खुद दम घुटने से मर गया। मृतक की पहचान बीएमसी के कर्मचारी राजेश वेगड़ (45) के रूप में हुई।

जेटिंग मशीन के बाद भी टंकी में घुसने की नौबत कैसे आई?
उन्होंने कहा कि घटना के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए जांच चल रही है। पत्रकारों से बात करते हुए, मृतक कर्मचारी के छोटे भाई दीपक वेगड़ ने उनकी मौत पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि जब साइट पर जेटिंग मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा था तो सुपरवाइजर ने उन्हें टैंक में प्रवेश करने की अनुमति क्यों दी?

मुआवजा और आश्रित के लिए नौकरी की मांग
दीपक वेगड़ ने सरकारी और प्रशासनिक लापरवाही के आरोप लगाते हुए कहा, हमें अधिकारियों से जवाब चाहिए कि जब मशीन मौजूद थी तो राजेश को टैंक में घुसने की नौबत क्यों आई? वहां बड़े अधिकारियों की मौजूदगी के बावजूद राजेश को सेप्टिक टैंक में प्रवेश करने की अनुमति क्यों दी गई? वह हमारे परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य था। नगर निगम को उसके परिवार के लिए वित्तीय मुआवजा और उसके बेटे के लिए नौकरी सुनिश्चित करनी चाहिए।

‘सीवेज और सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए मजदूर नहीं केवल मशीन’
बता दें कि बीते कई साल में ऐसे हादसों पर सख्ती दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीवेज या सेप्टिक टैंक में घुसकर सफाई करने और सरकारी उदासीनता को लेकर बेहद सख्त टिप्पणियां की हैं। देश की सबसे बड़ी अदालत सफाई के पहले कर्मचारियों को बचाव के उपकरण नहीं मुहैया कराने पर भी सरकार को फटकार लगा चुकी है। एक ऐसे ही मामले में बीते अक्तूबर में ही सुप्रीम कोर्ट ने सीवेज की मैनुअल सफाई के दौरान हुई मौत के बाद 30 लाख रुपये जुर्माना भरने का आदेश दिया था।

सीवर की सफाई पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एस रवींद्र भट्ट की अध्यक्षता वाली पीठ के आदेश के अनुसार, सीवर सफाई के दौरान मौत पर सफाई कर्मचारी के परिजनों को 30 लाख रुपये मुआवजा, जबकि सफाई के दौरान मजदूर के दिव्यांग हो जाने पर मुआवजे के तौर पर 20 लाख रुपये का भुगतान का निर्देश दिया गया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में पारित ऐतिहासिक फैसले में हाथ से कचरे और गंदगी की सफाई (Manual Scavenging) रोकने के लिए सख्त निर्देश जारी किए थे।

कानूनी पहरे के बावजूद सरकारी परिसर में हादसा कैसे?
अदालत ने साफ किया था कि सीवर की खतरनाक सफाई के लिए मजदूर को टंकी के अंदर न भेजा जाए। सफाई कर्मचारी को बिना सेफ्टी के सीवर लाइन में न उतारा जाए। शीर्ष अदालत ने कानून का उल्लंघन करने वालों को सख्त सजा देने का भी प्रावधान किया गया था। इन सबके बाद भी इंसानियत आए दिन शर्मचार हो रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि सरकारी परिसर के सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए मशीन मौजूद होने के बावजूद कर्मचारी को भीतर जाने पर मजबूर होना पड़ा।

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