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देश के सुदूर स्थानों पर सेवा कर रहे 18 समाजसेवियों को दिया गया संत ईश्वर सम्मान, तिरंगा बनाकर सभी ने मनाया आजादी का अमृत महोत्सव

नई दिल्ली। संत ईश्वर फाउंडेशन एवं राष्ट्रीय सेवा भारती के सहयोग से  राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में देश के प.पू. स्वामी अवधेशानंद गिरि, केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी के सान्निध्य में संत ईश्वर सम्मान समारोह का आयोजन हुआ। संत ईश्वर की अध्यक्ष कपिल खन्ना ने संत ईश्वर सम्मान का परिचय देते हुए बताया कि संत ईश्वर फाउंडेशन की स्थापना 9 वर्ष पूर्व हुई थी और 7 वर्ष पूर्व पहली बार संत ईश्वर सम्मान देना प्रारंभ हुआ था।

यह सम्मान व्यक्तिगत एवं संस्थागत रूप में मुख्यतः चार क्षेत्र- जनजातीय, ग्रामीण विकास, महिला-बाल विकास  एंव विशेष योगदान (कला, साहित्य, पर्यावरण,स्वास्थ्य और शिक्षा) में तीन श्रेणियों 1 विशेष सेवा सम्मान, 4 विशिष्ट सेवा सम्मान एवं 12 सेवा सम्मान में दिया जाता है। जो क्रमशः आर्ट ऑफ़ लिविंग बैंगलोर के भानुमति नरसिम्हन को संत ईश्वर  विशेष सेवा  सम्मान मिला। वही जनजातीय क्षेत्र में मिजोरम से पुईथीयाम रोरेलियना (विशिष्ट सेवा सम्मान ), कर्नाटक से कौशल्या रविंद्र हेगड़े, सिक्किम से सोनम डुंडेन लेपचा, मध्य प्रदेश से मेवालाल पाटीदार  को संत ईश्वर सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया।

भानुमती नरसिम्हन, आर्ट ऑफ लिविंग जिन्होंने बैंगलोर, कर्नाटक में 30 बच्चों के साथ संस्था की शुरुआत की और महिला शिक्षा, कैदी पुनर्वास, गरीबी उन्मूलन, महिला स्वास्थ्य जागरूकता के क्षेत्रों में कार्य करते हुए 8000 से अधिक महिलाओं को व्यवसायिक प्रशिक्षण एवं देशभर में 170000 से अधिक महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया, उन्हें इस वर्ष संत ईश्वर विशेष सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया। ग्रामीण क्षेत्र में गुजरात के राम कुमार सिंह (विशिष्ट सेवा  सम्मान ), गुजरात कच्छ के नीलकंठ गौ विज्ञानं केंद्र, तेलंगाना के पल्ले सृजन एवं उत्तर प्रदेश से खुशहाली फाउंडेशन को संत ईश्वर सेवा सम्मान दिया गया।

नीलकंठ गौ विज्ञान केंद्र गुजरात के कच्छ क्षेत्र में गौपालन और गौसंवर्धन का प्रेरक है। मेघजी भाई हिरानी ने गोबर आधारित 80 से ज्यादा उत्पाद में 25000 से ज्यादा गोबर के गणपति और केवल इस वर्ष 10 लाख गोबर के दिए बनवाए। इससे गांव में रहने वाले निवासियों को आर्थिक लाभ भी हुआ और देसी गाय को पालना भी और अधिक शुरू हुआ। खुशहाली संस्था विशेषकर वंचित समाज के बच्चों की शिक्षा और शारीरिक पुष्टता के लिए कार्य करने के साथ पर्यावरण जागरूकता और स्वावलंबन के लिए भी कार्य कर रहीं है। खुशहाली संस्था ने बरेली, पीलीभीत, कासगंज, मथुरा, अमेठी, प्रयागराज, बनारस, सोनभद्र और देहरादून तक ऐसे 2 लाख परिवारों को 11 लाख से अधिक फलदार पेड़ दिए।

महिला एवं बाल विकास क्षेत्र से गुजरात के गुरूजी ज्ञान मंदिर को (विशिष्ट सेवा सम्मान) जम्मू से मुक्ति संस्था, महाराष्ट से सावित्री बाई फुले महिला एकात्म मंडल, बिहार से वनडे मातरम युवा मिशन को समान्नित किया गया। वंदे मातरम युवा मिशन बिहार के गया में शिक्षा का अलख जगाने का कार्य कर रहा है। 1500 से अधिक झुग्गी झोंपड़ियों के वंचित बच्चों को निशुल्क शिक्षा देते हुए संस्था आज 100 शिक्षकों और कार्यकर्ताओं की सहायता से 15 से अधिक सांध्यकालीन पाठशाला संचालित कर रही है जहां लाभार्थियों की संख्या निरंतर बड़ रही है।

विशेष योगदान क्षेत्र में पंजाब के उमेन्द्र दत्त को (विशिष्ट सेवा  सम्मान), राजस्थान से डॉ तपेश माथुर, उत्तराखंड से संचिंदानन्द भारती, अरुणांचल प्रदेश से बानबंद लोसु एवं राजस्थान से मेजर सुरेंद्र नारायण माथुर को वर्ष 2022 के संत ईश्वर सम्मान से सम्मानित किया गया। इस प्रकार से इस वर्ष देश भर से समाज के कल्याण में लगे 18 व्यक्तियों एवं संस्थाओ को सम्मानित किया गया। संत ईश्वर फाउंडेशन के अध्यक्ष कपिल खन्ना ने मंचस्थ पूज्य स्वामी अवधेशानंद और अन्य विभूतियों के साथ सेवा परमो धर्म पुस्तक का विमोचन करते हुआ बताया इस वर्ष #संत_ईश्वर_सम्मान देने का शतक (100) पूरा कर रहा है और यह पुस्तक उन सभी सौ सेवा साधकों का परिचय देते हुए समाज को सेवा करने की प्रेरणा सदैव देती रहेगी, ऐसा विश्वास है।

स्वामी जूना पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज ने आशीर्वाद देते हुए संत ईश्वर सम्मान को शतक पूरा करने की बधाई दी और कहा कि संत ईश्वर सम्मान आने वाले समय में भी सेवा करने वालों का ऐसे ही सम्मान करता रहेगा। केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी भी इस अवसर पर अभिभूत थी और उन्होंने भी शतक पूरा करने पर बधाई देते हुए बताया कि इस पुस्तक से सभी को सेवा करने की प्रेरणा मिलेगी।

आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर इतिहास में पहली बार विज्ञान भवन में उपस्थित अतिथियों ने एकसाथ खड़े होकर तिरंगा  बनाया और वंदे मातरम गाकर इस समारोह को एक अविस्मरणीय पल में बदल दिया। इस अनूठे सम्मान समारोह में विज्ञान भवन खचाखच भरा हुआ था, लग रहा था पूरी दिल्ली ही इन सेवाव्रतियों का सम्मान करने उमड़ पड़ी थी। संत ईश्वर फाउंडेशन और राष्ट्रीय सेवा भारती के लगभग 500 कार्यकर्ता व्यवस्था में तैनात थे।

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