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शिक्षा नीति में संस्कृत व संस्कृति

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

कुलाधिपति व राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल अनेक अवसरों पर नई शिक्षा नीति की विशेषताओं का उल्लेख करती है। नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद उन्होंने इसकी सराहना की थी। उनका कहना था कि इसमें भारतीय भाषाओं को पूरा महत्व दिया गया। इससे बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा सहज व आसान हो जाएगी। प्रकारन्तर से इससे राष्ट्रीय स्वाभिमान का जागरण भी होगा।

संस्कृत का महत्व

दुनिया की सर्वाधिक प्राचीन,समृद्ध व वैज्ञानिक भाषा संस्कृत है। इसके माध्यम से ही भारत कभी विश्वगुरु हुआ करता था। आनन्दी बेन पटेल ने कहा कि जीवन का विकास संस्कृत भाषा में ही समाहित है। संस्कृत देश की सभी भाषाओं की जननी है। यह भारतीय संस्कृति का मेरूदण्ड है। जिसने हजारों वर्षों से हमारी अनूठी भारतीय संस्कृति को न केवल सुरक्षित रखा है,बल्कि उसका संवर्द्धन तथा पोषण भी किया है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन में संस्था संस्कृत भारती की पुस्तक अवध सम्पदा के विमाचन किया।

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति से संस्कृत भाषा को मजबूती मिलेगी। संस्कृत आधुनिक विज्ञान की भाषा है। अब स्कूली शिक्षा में संस्कृत के साथ तीन अन्य भारतीय भाषाओं का विकल्प होगा। इससे हमारी युवा पीढ़ी को संस्कृत भाषा के अध्ययन अध्यापन में लाभ मिलेगा। देश में कई गांव ऐसे हैं,जहां संपूर्ण संस्कृत भाषा का आचरण होता है। संस्कृत भाषा को जन भाषा बनाने के लिए प्रयासरत होना चाहिए।

संस्कृत पर कार्य योजना

संस्कृत का साहित्य विविधता पूर्ण व अति विशाल है। राज्यपाल ने कहा कि विशेषज्ञ नई शिक्षा नीति के अनुसार संस्कृत भाषा तथा साहित्य के विस्तार की व्यापक कार्य योजना आधुनिक सन्दर्भ में तैयार करनी चाहिये।जिससे संस्कृत में विद्यमान महान ज्ञान सम्पदा को अधिकतम लोगों तक पहुंचाया जा सके। आज पूरा विश्व संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता और प्रामाणिकता को समझ रहा है। देश विदेश के मनीषियों ने संस्कृत की महत्ता को हृदय से स्वीकारा है। भारत के साथ साथ कई विदेशी विद्वानों ने संस्कृत शास्त्रों का गहन अध्ययन, चिन्तन एवं मनन किया है। संस्कृत देव भाषा है। सही मायनों में संस्कृत भारत की आत्मा है। देश के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक धार्मिक, दार्शनिक, ऐतिहासिक और सामाजिक जीवन का विकास संस्कृत भाषा में ही समाहित है।

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