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सम्मान को सहेजकर रखें यह जीवन में आगे बढ़ने की देता है प्रेरणा : डा दिनेश शर्मा

• समाज के नकारात्मक बदलावों को रोकने की जिम्मेदारी पुलिस पत्रकार और समाजसेवियों की

• पुलिस और पत्रकार एक दूसरे के पूरक तथा प्रतिद्वन्दी दोनो

• पुलिस संदेश साफ होना चाहिए कि अपराधी डरे और जनता निर्भय रहे

लखनऊ। पूर्व उपमुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा ने कहा कि हर व्यक्ति को जीवन में मिले सम्मान को सहेजकर रखना चाहिए क्योंकि यह आगे बढने की प्रेरणा देता है। केवल अच्छे काम करने वालों को ही सम्मानित किया जाता है क्योंकि उन्होंने समाज में अनीति करने वालों को नीति पाठ पढाने में विजय प्राप्त की होगी।

नेशनल पीजी कॉलेज सभागार, लखनऊ में स्वयं सेवी संस्था ‘जनशक्ति’ की ओर से आयोजित पुलिस, पत्रकार एवं जनसेवी सम्मान समारोह को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि समय के बदलाव के साथ संस्कृति में बदलाव हो रहा है और युवा इस नकारात्मक बदलाव के शिकार हो रहे हैं। इस नकारात्मक बदलाव को रोकने की जिम्मेदारी पुलिस के साथ ही पत्रकार की भी है।

सम्मान को सहेजकर रखें यह जीवन में आगे बढने की देता है प्रेरणा : डा दिनेश शर्मा

पुलिस बल को युवाओं को नियम पालन का संदेश देना चाहिए तथा पत्रकार को समाज में गिरते मूल्यों को पुन:स्थापित करने की दिशा में काम करना चाहिए। समाज सेवियों की जिम्मेदारी है कि प्राचीन समय का सामाजिक गौरव फिर वापस आए तथा युवाओं में संस्कारों का समावेश हो और इसे जन जन तक सकारात्मक रूप में पहुचाने की जिम्मेदारी पत्रकार की होती है।

डा शर्मा ने कहा कि पुलिस और पत्रकार एक दूसरे के पूरक तथा प्रतिद्वन्दी दोनो होते हैं । पत्रकार जहां समाज की समस्याओं को उठाता है वहीं पुलिस उसके निराकरण का प्रयास करती है। समाजसेवी का प्रयास रहता है कि गलत घटनाएं समाज में नहीं हों। उनका कहना था कि समय के साथ पुलिस की जिम्मेदारी बढी है। पुलिस संदेश साफ होना चाहिए कि अपराधी डरे और जनता निर्भय रहे। वर्तमान में पुलिस बल का स्वरूप बदला है तथा इसमें महिलाएं भी शामिल होकर अच्छा कार्य कर रही हैं।

अपने गुजरात के अनुभव को साझा करते हुए डा शर्मा ने बताया कि उन्होंने वहां पर देखा कि पुलिस बल में तनाव को कम करने व अधिकारी व नीचे के कर्मियों के बीच में संवाद को सुचारू रखने के लिए टिफिन बैठक का एक प्रयोग सरकार द्वारा किया गया था जो बेहद सफल रहा था। किसी भी विभाग में जब अधिकारी और कर्मचारी के बीच की दूरी कम होती है तो कार्यकुशलता अपने आप बढ जाती है।

उन्होंने कहा कि पत्रकार लोकतंत्र का एक स्तंभ होने के साथ ही समाज के सजग प्रहरी होते हैं। उनकी लेखनी सकारात्मक और नकारात्मक दोनो ही प्रकार की दृष्टि रखती है। पत्रकार की लेखनी समाज में एकता स्थापित करने में जितना अहम हो सकती है उसकी लेखनी कभी कभी उतनी ही विध्वंसात्मक भी हो सकती है। इसलिए लेखनी का सकारात्मक होना बहुत जरूरी है। कई जगहों पर देखा गया है कि पुलिस और पत्रकारों के सकारात्मक रवैये के चलते बडी बडी घटनाएं तुरन्त शान्त हो गई।

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इस अवसर पर पूर्व विधायक सुरेश तिवारी, पार्षद अन्नू मिश्रा, कार्यक्रम संयोजक अरूण प्रताप सिंह, इग्नू की निदेशक, डॉक्टर मनोरमा, नेशनल डिग्री कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर देवेंद्र सिंह, सेवानिवृत पुलिस महानिरीक्षक आरके चतुर्वेदी, चेंबर ऑफ कॉमर्स के मुकेश सिंह, भाजपा नेता संतोष श्रीवास्तव, उत्पल एवं गुंजन वर्मा उपस्थित रही। नगर के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले दो दर्जन से अधिक व्यक्तियों को सम्मानित किया।

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