उत्तर प्रदेश में जमीन पर कब्जा करने या फिर धार्मिक स्थल का निर्माण करा देना कभी आम बात हो गई थी,लेकिन जब से योगी सरकार ने सख्ती दिखाई है। भूमाफिया और धर्म की आड़ मेें जमीन कब्जाने वाले अपने आप ही सरकारी जमीन पर से कब्जा छोड़ने लगे हैं। ऐसा ही नजारा बरेली के मीरगंज थाना क्षेत्र में तिलमास गांव में तब देखने को मिला जब तालाब की जमीन पर मस्जिद के बने होने की शिकायत के बाद मस्जिद के अवैध निर्माण को स्वयं लोगों ने तोड़ दिया। इससे पहले राजस्व की टीम ने मौके पर जाकर नाप कराई थी तो पता चला कि मस्जिद का एक हिस्सा सरकारी तालाब की जमीन में है इसके बाद एतिहातन गांव में पुलिस को तैनात कर दिया गया था।
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बताया जाता है कि विवाद सुलझाने के लिये मुस्लिम समुदाय के आधा दर्जन लोग उप जिलाधिकारी के समक्ष पहुंचे थे और वार्ता कर नियमानुसार प्रशासन की मंशा भांपते हुए खुद ही तालाब में बने मस्जिद के अतिरिक्त हिस्से को तोड़ने पर सहमति जताई थी। जानकारी के मुताबिक मीरगंज के गांव तिलमास में बनी मस्जिद के पिछले हिस्से को सरकारी तालाब की जगह में बने होने की एक्स एकाउंट पर पोस्ट किया था जिसे लेकर तहसील प्रशासन से एसडीएम तृप्ति गुप्ता, तहसीलदार विशाल कुमार शर्मा और सीओ अंजनी कुमार तिवारी व एसएचओ सिद्धार्थ सिंह तोमर राजस्व टीम को लेकर जांच पड़ताल की थी।
इस जांच के दौरान प्रशासन ने तालाब में खड़े पिलर पर पड़े लेंटर का निर्माण होना गलत पाया था और रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी थी. जिससे मुस्लिम समुदाय में बेचौनी बढ़ गई थी। इसके बाद से मुस्लिम समाज ने बाबा के बुल्डोजर और प्रशासन के सख्ती के चलते खुद मस्जिद के अवैध हिस्से को तोड़ना शुरू कर दिया था। पिछले दो दिनों से मुस्लिम समाज खुद ही मस्जिद के अवैध हिस्से को हटा रहा है।
वहीं कुछ ग्रामीणों का कहना था कि गांव तिलमास में जमींदारों के द्वारा बनाई हुई मस्जिद है जिसका पिछला हिस्से की दीवार तालाब किनारे थी। नमाजी लोग इसी तालाब में बजू आदि करते थे और तालाब की ओर सीढ़ियां लगी थीं। तालाब के पानी की वजह से पिछली दीवार जर्जर हो गई थी इसी वजह से तालाब के कुछ हिस्से में पिलर खड़े करके लेंटर डाल दिया गया था। जिससे नमाजी लोग किसी तरह का जोखिम न उठाएं। जब शिकायत है तो हम खुद ही हटाने को तैयार हैं।