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अलग-अलग दिन में प्रदोष व्रत का महत्व, जानिए कैसे…

मान्यता है हलाहल विष को पीने वाले शिव को एक लोटा जल समर्पित कर देने से वो भक्त की सभी इच्छा पूरी कर देते हैं। देवादिदेव महादेव आसानी से और साधारण पूजा से प्रसन्न हो जाते हैं। कुछ विशेष दिवस और तिथियों को शिव आराधना विशेष फलदायी होती है। इन्ही शुभ और शिवप्रिया तिथियों में से एक त्रयोदशी तिथि है। दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है। इस दिन सांध्यकाल यानी प्रदोषकाल में शिव आराधना करने से शिव भक्तों की सभी मनोकामना पूरी कर देते हैं।

सप्ताह में अलग-अलग वारों पर आने वाली प्रदोष का अलग-अलग महत्व होता है। उस दिन भक्त के द्वारा शिवपूजा और उपवास करने से उस दिन के हिसाब से फल मिलता है। इस बार 11 सितंबर बुधवार को सौम्यवारा प्रदोष है।

रविवार
रविवार को आने वाली प्रदोष को रवि प्रदोष या भानुप्रदोष कहते हैं। इस दिन प्रदोष का व्रत करने से सुख, शांति और लंबी आयु प्राप्त होती है। रवि प्रदोष का संबंध शिव के साथ सूर्य के साथ रहता है। सूर्य का प्रदोष से संबंध होने से नाम, यश और सम्मान मिलता है। कुंडली में अपयश का दोष होने से रवि प्रदोष का व्रत करना फलदायी होता है।

सोमवार
त्रयोदशी तिथि का संयोग सोमवार को बनने पर प्रदोष सोम प्रदोष कहलाती है। सोम प्रदोष का व्रत रखने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। संतान प्राप्ति की कामना के लिए भी इस व्रत को रखा जाता है। यदि कुंडली में चंद्र की दशा खराब हो तो सोम प्रदोष के व्रत से काफी फायदा होता है।

मंगलवार
मंगलवार को आने वाली प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं। भौम प्रदोष का व्रत रखने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। इस दिन विधि-विधान से प्रदोष का व्रत रखने से कर्ज की समस्या से छुटकारा मिल जाता है।

बुधवार
बुधवार को आने वाली प्रदोष को सौम्यवारा प्रदोष कहा जाता है। सौम्यवारा प्रदोष का व्रत करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है और शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलती है। सभी तरह की मनोकामना की पूर्ति के लिए भी इस व्रत को करने का विधान है।

गुरुवार
गुरुवार को आने वाली प्रदोष को गुरुवारा प्रदोष कहा जाता है। गुरुवारा प्रदोष का व्रत शत्रु से मुकाबले और विपत्ति के नाश के लिए किया जाता है। इस प्रदोष के करने से पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है। सफलता की कामना के लिए गुरुवारा प्रदोष का व्रत रखा जाता है।

शुक्रवार
शुक्रवार को आने वाली प्रदोष को भ्रुगुवारा प्रदोष कहा जाता है। सौभाग्य और धन की वृद्धि के लिए भ्रुगुवारा प्रदोष के व्रत का विधान है। इस प्रदोष का व्रत करने से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और सौभाग्य प्राप्त होता है।

शनिवार
शनिवार को आने वाली प्रदोष को शनि प्रदोष कहा जाता है। शनि प्रदोष का व्रत करने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है। पुत्र की प्राप्ति और नौकरी में पदोन्नति के लिए शनि प्रदोष के व्रत को रखा जाता है।

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