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गंभीर नवजातों को एसएनसीयू में मिल रही नई जिंदगी

• वर्ष 2022 में 254 नवजातों को भर्ती कर किया गया स्वस्थ

• परिवार वाले छोड़ चुके थे उम्मीद फिर भी एसएनसीयू की टीम कर रही थी बचाने की जद्दोजहद

औरैया। सीमित संसाधनों के बावजूद जनपद की स्वास्थ्य सेवाएं अपनी बेहतरी की ओर लगातार आगे बढ़ रही हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार व्यवस्था के सुधार में लगी है। 100 शैय्या जिला संयुक्त चिकित्सालय की सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण को दर्शाता है।

नवजात शिशुओं की बेहतर देखभाल एवं उनका समुचित इलाज कर नया जीवन देने में कारगर साबित हो रहा है। यहां जन्म के समय गंभीर स्थिति वाले नवजात को भर्ती कर नई जिंदगी दी जा रही है। गत वर्ष (2022) इस वार्ड में 356 नवजात भर्ती हुए जिनमें 254 नवजातों को बेहतर इलाज देकर असमय काल के गाल में समाने से बचाया गया है।

माता-पिता छोड़ चुके थे बचने की उम्मीद

अजीतमल ब्लाक के राजपुरा गांव निवासी रामकुमार की पत्नी रूपकली ने 1 जनवरी 2023 को पुत्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अजीतमल में जन्म दिया। राजकुमार बताते हैं कि समय से पहले प्रसव होने की वजह से बच्चे को सांस लेने में दिक्कत आ रही थी। इसके साथ ही उसे पीलिया भी हो गया था। बचने की उम्मीद छोड़ चुके थे। तभी डाक्टर ने एसएनसीयू में रखने की सलाह दी। जन्म के चार घंटे बाद ही विभाग द्वारा उसी दिन एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किया गया। अब उसके बच्चे को कोई दिक्कत नहीं है। । 100 शैय्या जिला संयुक्त चिकित्सालय के एसएनसीयू इंचार्ज और बाल रोग विषेशज्ञ डॉ रंजीत सिंह कुशवाहा ने बताया कि 11 दिनों तक लगातार बच्चा टीम की निगरानी में रहा। 11 जनवरी 2023 को नवजात को पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज किया गया।

पड़ोसी जनपदों से भी आते हैं गंभीर नवजात

जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. कुलदीप यादव ने बताया कि एसएनसीयू वार्ड में मौजूदा समय में दो डॉक्टरों डॉ रंजीत कुशवाहा और डॉ विनय श्रीवास्तव सहित स्टाफ नर्स मयंक , प्रतीक्षा, आरती, हीरेंद्र, शिवांगी व शिवांका की टीम नवजात शिशुओं का उपचार और देखरेख में लगाई गई है। उन्होंने बताया की वर्ष 2021 में 130 बच्चों को वार्ड में भर्ती किया गया, वर्ष 2022 में 356 बच्चों को और वर्ष 2023 में 1 जनवरी 2023 से अब तक कुल 12 बच्चों को भर्ती किया गया है जिनमें सात डिस्चार्ज हो चुके हैं। इनमें कई ऐसे बच्चे हैं पड़ोसी जनपद से रेफर होकर आए थे।

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ रंजीत सिंह कुशवाहा ने बताया कि एसएनसीयू वार्ड में 12 बेड हैं। पर्याप्त आक्सीजन के लिए 8 कंसंट्रेटर तथा 5 सिलेंडर हैं। नवजात की स्थिति के अनुसार ही उसे यहां रखा जाता है। प्रति माह भर्ती नवजातों में से 80 से 85 प्रतिशत से भी ज्यादा नवजातों का सफल इलाज होता है। एसएनसीयू वार्ड में शून्य से 28 दिन तक के बच्चों को भर्ती किया जाता है। यहां 24 घंटे चिकित्सक के साथ स्टाफ नर्स तैनात रहती हैं, जो शिशु के एडमिट होने के साथ ही उनकी सेवा में तत्परता से जुट जाती हैं।

जॉन्डिस (पीलिया) से पीड़ित बच्चों के लिए फोटो थैरेपी की सुविधा

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विनय श्रीवास्तव ने बताया कि यहां रेडियो वॉर्मर, ऑक्सीजन की सुविधा के साथ- साथ जॉन्डिस से पीड़ित बच्चों के लिए फोटो थैरेपी की सुविधा भी है। एसएनसीयू में जन्म लेने के साथ ही श्वांस, जांडिस, दूध नहीं पीने, निर्धारित वजन से कम, नौ माह के पहले जन्म, अविकसित शिशुओं का गंभीर स्थिति में इलाज किया जा रहा है।

जन्म का पहला घंटा नवजात के लिए अहम

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ विनय श्रीवास्तव बताते हैं कि ज्यादातर नवजातों की मौत का एक प्रमुख कारण बर्थ एस्फिक्सिया होता है। जन्म का पहला घंटा नवजात के लिए महत्वपूर्ण होता है।

जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी से दम घुटने से बच्चे को गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो जाती है। गंभीर हालातों में बच्चे की जान भी जा सकती है। जिसे चिकित्सकीय भाषा में बर्थ एस्फिक्सिया कहा जाता है। ऐसे नवजात शिशुओं का इलाज कर उनकी जान बचाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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