केंद्र की मोदी सरकार के सात साल पूरा करने के मौके पर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोलते हुए इन 7 सालों को 7 आपराधिक भूल बताया है। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर अर्थव्यवस्था से लेकर कोरोना से निपटने में असफलता और किसान, बेरोजगारी और महंगाई के मसले पर हमला किया है। अर्थव्यवस्था से लेकर बेरोजगारी-महंगाई पर सरकार को घेरते हुए कांग्रेस के महासचिव और मीडिया प्रभारी रणदीप सूरजेवाला ने सात मसलों को मोदी सरकार की विफलता के लिये रेखांकित किया।
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर ‘अर्थव्यवस्था’ को ‘गर्त व्यवस्था’ में तब्दील करने का आरोप* लगाया और बताया कि कांग्रेस कार्यकाल की औसतन 8.1 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि की तुलना में जीडीपी की दर साल 2019-20 में गिरकर 4.2 प्रतिशत रह गई।
बेइंतहा बेरोजगारी, बनी है महामारी: कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा पूरा नहीं किया गया।
कमर तोड़ महंगाई: इस मसले पर भी कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा। पेट्रोल से लेकर सरसों तेल की बढ़ती कीमतों पर सरकार को पार्टी ने घेरा है और कहा है कि मौजूदा मंहगाई दर से लोअर और मिडिल क्लास के लोग त्राहि त्राहि कर रहे हैं। पेट्रोल की कीमतों में रिकॉर्ड स्तर का उछाल देखा जा रहा है जहां कई जगह यह 105 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है और डीजल 100 रुपए प्रति लीटर पर जा चुका है। तेलहन और दलहन की कीमतों में भी जबरदस्त उछाल आया है। देश की प्रति व्यक्ति आय पड़ोसी देश बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय से भी कम हो गई है। इसी बात को लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक शर्मा ने भी बीजेपी पर निशाना साधा है।
किसानों के मसले पर फेल हुई मोदी सरकार: भारत के गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर सैन्य टुकड़ियां, अत्याधुनिक हथियार और लड़ाकू विमानों के करतब से भारत की शौर्य की ताकत के साथ-साथ इस बार दिल्ली में हिंसा और उत्पात के साथ अराजकता की तस्वीर भी देखने को मिली। कृषि कानून के खिलाफ किसानों के द्वारा 26 जनवरी को निकाली गई ट्रैक्टर रैली के दौरान प्रदर्शनकारी पुलिस बैरिकेडिंग को तोड़कर सेंट्रल दिल्ली में जबरन घुसे और लालकिले की प्राचीर पर अपना अपना झंडा फहराया। ज्वलंत सवाल है कि ट्रैक्टर रैली के जरिए गणतंत्र दिवस पर किसान कौन सा संदेश सरकार तक पहुंचाना चाहते थे। साथ ही सवाल उठता है कि आखिर इस ट्रैक्टर रैली से किसानों से लेकर विपक्ष और सरकार को सियासी तौर पर क्या हासिल हुआ।
गरीब व मध्यम वर्ग के मसले पर सरकार की विफलता: इस मसले पर भी मोदी सरकार की नीतियों को कांग्रेस ने असफल करार दिया है। विश्व बैंक की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस ने दावा किया कि यूपीए-कांग्रेस के 10 साल के कार्यकाल में 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठ पाए जबकि मोदी सरकार के 7 साल के बाद, PEW रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 2020 में देश के 3.20 करोड़ लोग अब मध्यम वर्ग की श्रेणी से ही बाहर हो गए जबकि 23 करोड़ भारतीय एक बार फिर गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी में शामिल हो गए हैं।
कोविड संक्रमण की बदइंतजामी: कांग्रेस ने कोरोना से निपटने के मसले पर भी मोदी सरकार को कुप्रबन्धन के लिए जिम्मेदार ठहराया. मौत के आंकड़ों से लेकर ऑक्सीज़न के संकट और रेमडेसिविर इंजेक्शन और वैक्सीन की उपलब्धता से लेकर कीमतों के मसले पर सरकार को निशाने पर लिया।
राष्ट्रीय सुरक्षा: इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर भी मोदी सरकार को कांग्रेस ने घेरा। चीन से सीमा विवाद को लेकर उग्रवाद और नक्सलवाद के मसले पर कांग्रेस ने मोदी सरकार को विफल बताया।
बीजेपी का पलटवार: कांग्रेस के सवालों और आरोपों पर बीजेपी ने भी पलटवार कियाहै। बीजेपी सांसद प्रवेश सिंह वर्मा ने कहा कि विपक्ष का काम है, सवाल उठाना लेकिन सरकार अपना काम कर रही है। वहीं, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी विपक्ष पर हमला बोला। नड्डा ने विपक्षी दलों पर कोरोना काल में बाधा डालने का आरोप लगाया. बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि बीजेपी साधना में जुटी, जबकि बाकी राजनीतिक दल होम आइसोलेशन या होम क्वारन्टीन में है और सिर्फ ट्विटर या टीवी दिखते हैं। जेपी नड्डा ने कहा कि बीजेपी के लोग साधना में जुटे हैं तो कुछ लोग बाधा डालने में लगे हैं। उन्होंने कुछ राजनीतिक दलों पर भारत की छवि को गिराने का भी आरोप लगाया।
विदेशी मीडिया ने उठाये मोदी सरकार की नाकामी पर सवाल: ओवर कॉन्फिडेंस और गलत फैसलों से हालात बिगड़े
भारत में कोरोना की दूसरी लहर से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। कोरोना के लिए स्पेशल मेडिकल सेवाओं की तो बात ही छोड़िए, लोगों को अस्पताल के बेड, ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं के लिए मारामारी करनी पड़ रही है। कोरोना से जान गई तो श्मशान और कब्रिस्तान में भी जगह के लिए लड़ाई जैसा मंजर है। ऐसे में विदेशी मीडिया मोदी सरकार को किस तरह कठघरे में खड़ी कर रही है आइए देखते हैं…
ऑस्ट्रेलियन फाइनेंशियल रिव्यू में कार्टूनिस्ट डेविड रोव का यह कार्टून पब्लिश हुआ है। सबसे तीखा रिएक्शन ऑस्ट्रेलिया के अखबार ऑस्ट्रेलियन फाइनेंशियल रिव्यू में देखने को मिला है। कार्टूनिस्ट डेविड रोव ने एक कार्टून में दिखाया है कि भारत देश जो कि हाथी की तरह विशाल है। वह मरने वाली हालत में जमीन पर पड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसकी पीठ पर सिंहासन की तरह लाल गद्दी वाला आसन लगाकर बैठे हुए हैं। उनके सिर पर तुर्रेदार पगड़ी और एक हाथ में माइक है। वह भाषण वाली पोजिशन में हैं। यह कार्टून सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
अमेरिकी अखबार ‘द वाशिंगटन पोस्ट ’ ने 24 अप्रैल के अपने ओपिनियन में लिखा कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर की सबसे बड़ी वजह पाबंदियों में जल्द राहत मिलना है। इससे लोगों ने महामारी को हल्के में लिया। कुंभ मेला, क्रिकेट स्टेडियम जैसे इवेंट में दर्शकों की भारी मौजूदगी इसके उदाहरण हैं। एक जगह पर महामारी का खतरा मतलब सभी के लिए खतरा है। कोरोना का नया वैरिएंट और भी ज्यादा खतरनाक है।
ब्रिटेन के अखबार ‘द गार्जियन’ ने भारत में कोरोना से बने भयानक हालात को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को घेरा है। 23 अप्रैल को अखबार ने लिखा- भारतीय प्रधानमंत्री के अति आत्मविश्वास (ओवर कॉन्फिडेंस) से देश में जानलेवा कोविड-19 की दूसरी लहर रिकॉर्ड स्तर पर है। लोग अब सबसे बुरे हाल में जी रहे हैं। अस्पतालों में ऑक्सीजन और बेड दोनों नहीं है। 6 हफ्ते पहले उन्होंने भारत को ‘वर्ल्ड फार्मेसी’ घोषित कर दिया, जबकि भारत में 1% आबादी का भी वैक्सीनेशन नहीं हुआ था।
अमेरिकी अखबार ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने भारत के संदर्भ में 25 अप्रैल को लिखा कि साल भर पहले दुनिया का सबसे सख्त लॉकडाउन लगाकर कोरोना पर काफी हद तक काबू पाया, लेकिन फिर एक्सपर्ट्स की चेतावनी की अनदेखी की गई। आज कोरोना के मामले बेकाबू हो गए हैं। अस्पतालों में बेड नहीं है। प्रमुख राज्यों में लॉकडाउन लग गया है। सरकार के गलत फैसलों और आने वाले मुसीबत की अनदेखी करने से भारत दुनिया में सबसे बुरी स्थिति में आ गया, जो कोरोना को मात देने में एक सफल उदाहरण बन सकता था।
प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन में 23 अप्रैल को राणा अय्यूब के लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोरोना की लड़ाई में नाकाम बताया गया। लेख में सवाल किया गया है कि कैसे इस साल कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते तैयारी नहीं की गई। प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा गया कि जिम्मेदारी उसके पास है, जिसने सभी सावधानियों को नजरअंदाज किया। जिम्मेदारी उस मंत्रिमंडल के पास है, जिसने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ में कहा कि देश में कोरोना के खिलाफ उन्होंने सफल लड़ाई लड़ी। यहां तक कि टेस्टिंग धीमी हो गई। लोगों में भयानक वायरस के लिए ज्यादा भय न रहा। ब्रिटिश न्यूज एजेंसी BBC ने अपने एक लेख में कहा कि कोरोना के रिकॉर्ड मामलों से भारत के हेल्थकेयर सिस्टम पर बुरा असर पड़ा है। लोगों को इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन नहीं है। कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी की वजह हेल्थ प्रोटोकॉल में ढिलाई, मास्क पर सख्ती नहीं होना और कुंभ मेले में लाखों लोगों की उपस्थिति रही।
भारत को दुनियाभर से मदद बावजूद इसके कोरोना की मार झेल रहे भारत को दुनियाभर से मदद मिल रही है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि इस मुश्किल वक्त में हम भारत के साथ खड़े हैं। भारत हमारा मित्र देश है और कोविड-19 के खिलाफ इस जंग में हम उसका पूरा साथ देंगे। भारत में मेडिकल ऑक्सीजन कैपेसिटी बढ़ाने के लिए फ्रांस और जर्मनी ने तैयारी कर ली है। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने इसे ‘मिशन सपोर्ट इंडिया’ नाम दिया है। उन्होंने कहा- महामारी से हम सब जंग लड़ रहे हैं। फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका ने मुसीबत की घड़ी में भारत की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि महामारी की शुरुआत में भारत ने हमारे अस्पतालों में सहायता भेजी थी। अब जबकि उसे जरूरत है, तो हम मदद के लिए तैयार खड़े हैं।