सन्त अतुल कृष्ण महाराज प्रख्यात कथा वाचक है। वह अपने प्रवचनों के माध्यम से भारतीय संस्कृति के प्रति लोगों को जागृत करते है। इसमें प्राणियों में सद्भावना का भाव समाहित है। सन्त अतुल कृष्ण का बंगाल के चुनाव अथवा राजनीतिक गतिविधियों में कोई रुचि नहीं है। वह इनसे दूर है। अध्यात्म के प्रति ही समर्पित है। कुछ दिन पहले उन्होंने बाराबंकी के टिकैतनगर में प्रवचन किया था। यहां उन्होंने प्रभु की भक्ति और मानव कल्याण जैसे अनेक प्रसंगों का सुंदर उल्लेख किया था।
लेकिन पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद जिस प्रकार राजनीतिक प्रतिशोध के लिए हिंसा फैलाई गई, उसने सन्त अतुल कृष्ण को विचलित किया है। आतताइयों ने महिलाओं व बच्चों का भी उत्पीड़न किया। सन्त अतुल कृष् ने कहा कि लोकतंत्र में हिंसा की कोई जगह नहीं है। चुनाव राजनीतिक प्रक्रिया है। इसका संचालन संविधान की व्यवस्था व भावना के अनुरूप होना चाहिए।
परिणाम को सहज रूप में स्वीकार करना चाहिए। सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी अधिक होती है। उसे प्रतिशोध की भावना से कार्य नहीं करना चाहिए। लेकिन पश्चिम बंगाल में हिंसा के कारण भय का माहौल है। लोगों का पलायन हो रहा है। भारत की संस्कृति में हिंसा की कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि बंगाल की इस अराजकता को रोकने के लिये राज्य व केन्द्र सरकार अपने स्तर से प्रयास करना चाहिए।
यहां एक धर्म के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। इस प्रकार के तत्व यहां दशकों से प्रभावी है। पश्चिम बंगाल में अनेक इलाके ऐसे है जहां जय श्रीराम कहने वालों का उत्पीड़न किया जाता है। यदि ऐसी घटनाएं होगी तो भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था प्रश्न चिन्ह लगेगा। वैसे भी इस संकट के माहौल में मानवीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है। जिसमें लोगों के जीवन की रक्षा का प्रयास होना चाहिए।