लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि करीब हजार वर्ष पूर्व महाराजा सुहेलदेव ने जिस साहस और शौर्य के साथ महमूद गजनवी के भांजे सालार गाजी के खिलाफ देश को एकजुट कर विदेशी आक्रमण का मुंहतोड़ जवाब दिया था, उसी तरह की एकजुटता की आज फिर जरूरत है।
उन्होने कहा कि महापराक्रमी सुहेलदेव के योगदान को भुलाने के लिए इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने का बहुत प्रयास किया गया, लेकिन लोकगाथा और लोक परंपरा में महाराजा सुहेलदेव हमेशा अमर रहे।
इतिहास के इस गौरवगाथा से नई पीढ़ी प्रेरणा ले सके, इसी भावना के साथ चित्तौरा झील के समीप महाराजा सुहेलदेव स्मारक और संग्रहालय का निर्माण कराया जा रहा है।
महाराजा सुहेलदेव विजयोत्सव की वर्षगांठ पर एक कार्यक्रम में श्री योगी ने गुरूवार को कहा कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के विशेष अवसर पर यह दिन सैयद सालार गाजी पर महाराजा सुहेलदेव के विजय की वर्षगांठ भर नहीं है, बल्कि भारत का विजयोत्सव है। इतिहास साक्षी है कि तीन लाख सैनिकों के साथ सालार गाजी भारतीय आस्था के केंद्रों को रौंदता हुआ, राजे-रजवाड़ों को तहस-नहस करता हुआ चित्तौरा पहुंचा था। लेकिन राष्ट्रनायक महाराजा सुहलदेव के साथ भीषण युद्ध में अंततः वह मारा गया। इस विजय के उपरांत अगले डेढ़ सौ साल तक किसी विदेशी आक्रांता की कुदृष्टि भारत पर नहीं पड़ सकी।
सीएम ने कहा कि सुहेलदेव ने यह सिद्ध किया कि जब भारत का शौर्य गरजता है तो बड़ी से बड़ी शक्तियां भी नतमस्तक हो जाती हैं। यदि, हमने बालार्क ऋषि के वीर शिष्य सुहेलदेव के पराक्रम को ध्यान में रखकर एकता बनाये रखी होती तो बाद में जो हमले भारत पर हुए वह शायद न होते।
वर्चुअली आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि स्वातंत्र्य वीर सावरकर को एक ही जन्म में दो आजीवन कारावास की सजा हुई, लेकिन इन यातनाओं से भी राष्ट्र सेवा के लिए उनके कदम नहीं डिगे। ऐसा ही भाव सभी के मन में होने की जरूरत है। उन्होने राष्ट्र नायकों के बारे में नई पीढ़ी को अधिकाधिक जानकारी उपलब्ध कराने के लिए विशेष प्रयास की जरूरत भी बताई।