‘शिवसेना’ के नाम और निशान का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सोमवार को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता उद्धव ठाकरे ने बताया कि मंगलवार को मामले पर सुनवाई होने जा रही है। उन्होंने बगैर नाम लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट पर नाम और चुनाव चिह्न चोरी के आरोप लगाए हैं।
ठाकरे ने कहा, ‘मेरा सब कुछ छिन गया है। हमारी पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न छिन गया है लेकिन ठाकरे नाम छीन नहीं सकता। चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ हमने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, कल से सुनवाई शुरू होगी।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने निर्वाचन आयोग से अनुरोध किया था कि निलंबित विधायकों का मामला सुप्रीम कोर्ट में है और जब तक निर्णय नहीं हो जाता, आप फैसला न सुनाएं।’
खबर है कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने उद्धव गुट से मामले को कल यानी मंगलवार को लाने और तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कराने के लिए कहा है। गुट की तरफ से दी गई याचिका में अंतरिम राहत के तौर पर चुनाव आयोग के आदेश पर रोक लगाने की बात कही गई है। शिवसेना (यूबीटी) ने चुनाव आयोग पर भी भेदभाव के आरोप लगाए हैं।
शुक्रवार को निर्वाचन आयोग ने ‘शिवसेना’ का नाम और चिह्न सीएम शिंदे के समर्थक गुट को दे दिए थे। कहा गया कि आयोग ने 55 से 40 विधायक और 18 में से 13 सांसद शिंदे के साथ होने के चलते यह फैसला दिया था। भाषा के अनुसार, पार्टी पर नियंत्रण के लिए चली लंबी लड़ाई के बाद 78 पृष्ठों के अपने आदेश में, आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट को राज्य में विधानसभा उपचुनावों के पूरा होने तक ‘मशाल’ चुनाव चिह्न रखने की अनुमति दी।
उद्धव ने कहा कि शिव धनुष को चोर कैसे धारण करेंगे। भाजपा के तलवे चाटने के लिए शिवसेना नहीं बनी है। अगर पार्टी का सिंबल चोरी हो भी गया है तो ठाकरे का नाम कोई नहीं चुरा सकता। उन्होंने कहा कि बालासाहेब ठाकरे का पुत्र होने का सौभाग्य कोई छीन नहीं सकता।