कभी- कभी मौन Silence रहने पर भी बहुत सी समस्याओं का हल हो जाता है आइये बताते हैं कैसे-प्राचीन समय की बात है। एक गांव में सास-बहू रहती थी। दोनों में छोटी- छोटी बातों पर लड़ाई होती रहती थी। सास अपना रसूख जमाने के लिए बहू को हमेशा खरी-खोटी सुनाया करती थी। बहू भी कुछ कम नहीं थी। वह भी सास पर अक्सर पलटवार किया करती थी और सास को ताने मारते हुए पानी पीकर कोसती रहती थी।
Silence,गांव में संत आए
एक दिन गांव में संत आए। बहू ने संत की काफी आवभागत की। संत बहू की सेवा से काफी प्रसन्न हुए। एक दिन मौका देखकर बहू ने संत से निवेदन किया कि, ’ वह उसको कोई ऐसा उपाय बताए कि उसकी सास की बोलती बंद हो जाए। ’ बहू के निवेदन करने पर संत ने कागज पर एक मंत्र लिखकर उसको दे दिया और कहा कि ’ जब भी तुम्हारी सास तुमको बुरा-भला बोले तुम इस मंत्र को कागज पर लिखना और अपने दांतों के बीच दबा लेना। ’
दूसरे दिन जब सास ने बहू के साथ झगड़ा किया और उसको अपशब्द कहे तो सास ने संत के कहे अनुसार किया और मंत्र को कागज पर लिखकर अपने दांतों के बीच दबा लिया। इस स्थिति में बहू सास को कोई जवाब नहीं दे पाई। यह सिलसिला लगातार दो-तीन दिनों तक चलता रहा। एक दिन सास ने बड़े प्रेम से बहू से कहा कि ’ अब मैं तुमसे कभी नहीं लड़ाई करूंगी, क्योंकि अब तुमने मेरी गाली के जवाब में गाली देना बंद कर दिया है। ’ बहू ने सोंचा मंत्र का असर हो गया है और सास ने हथियार डाल दिए हैं।
दूसरे दिन बहू संत के पास गई और कहा कि ’ मेरी सास पर आपके दिए हुए मंत्र का असर हो गया है और उसकी सास ने अब उससे लड़ाई करना बंद कर दिया है। ’ संत ने बहू को जवाब देते हुए कहा कि ’ यह मंत्र का नहीं मौन को असर है। ’