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रेशम सखी के रूप में रेशम कीट पालन करेंगी स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं

Lucknow। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों को रेशम उत्पादन से जोड़ते हुए रेशम क्लस्टर विकसित किये जायेंगे है। समूहों के मध्य से रेशम सखियों का चयन कर उन्हें प्रशिक्षित किया जायेगा। इस तरह स्वयं सहायता समूहों की दीदियां रेशम विभाग से जुड़कर रेशम कीट पालन करेंगी और रेशम सखी के रूप में काम करके अपनी आमदनी बढ़ायेंगी। इस कार्य को मूर्तरूप प्रदान करने के लिए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों को व्यापक दिशा-निर्देश दिए हैं। उप मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन एवं रेशम विभाग द्वारा 50000 स्वयं सहायता समूह की सदस्यों को आगामी पाँच वर्षों में रेशम उत्पादन से जोड़ने हेतु अनुबंध किया जा चुका है।

इस मसौदे व अनुबंध की अमलीजामा पहनाने की कवायद शुरू कर दी गई है। शहतूत रेशम कीट पालन पर समझ विकसित करने के लिए 14 सदस्यीय दल जिसमें राज्य, जनपद एवं ब्लॉक स्तरीय मिशन प्रोफेशनल सम्मिलित हैं,को 24 से 26 मार्च 2025 के मध्य तीन दिवसीय एक्सपोज़र विज़िट केंद्रीय रेशम अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, मैसूर, कर्नाटक में आयोजित किया जा चुका है।

तसर रेशम कीट पालन पर समझ विकसित करने हेतु जनपद सोनभद्र से 17 सदस्यीय दल ,जिसमें रेशम सखी एवं मिशन स्टाफ़ सम्मिलित हैं, को 26 से 28 मार्च 2025 के मध्य तीन दिवसीय एक्सपोज़र विज़िट केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, राँची, झारखंड में आयोजित किया जा चुका है।

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मिशन निदेशक दीपा रंजन ने बताया कि वित्तीय वर्ष 25-26 की वार्षिक कार्ययोजना में रेशम उत्पादन पर कार्य करने हेतु 7500 समूह सदस्यों को आच्छादित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है एवं इस कार्यक्रम का क्रिर्यान्वयन इस वित्तीय वर्ष में प्रदेश के 15 जनपदों में सघन रूप से सुनिश्चित किया जायेगा

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