जयपुर। प्रदेशभर का युवा वर्ग तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के जाल में फसता जा रहा है, जिससे इनको कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इसमें खासतौर पर युवाअेां को तंबाकू इंड्रस्टी के तंबाकू उत्पाद बेचने के लुभावने हथकंडों से बचाने की जरुरत है, जिनकेा ये आसानी से अपना ग्राहक बना लेते है। वहीं चबाने वाले तंबाकू उपयोगकर्ता कोरोना संक्रमण फैलाने का भी इन दिनों कारण बन रहे है। राज्य में तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों से होने वाले रोगों से प्रतिवर्ष 77 हजार से अधिक लेागों की मौत हेा जाती है और देशभर में 13.5 लाख व विश्वभर में 80 लाख लोगों की जान इससे जाती है। प्रदेशभर में 300 बच्चे और देशभर में 5500 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरु करते है। धूम्रपान व तंबाकू उत्पादों का सेवन करने वालों में केारोना संक्रमण का खतरा भी बढ़ता है।
वर्ष 2020 में वर्ल्ड नो टोबेको डे पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा ‘‘युवाअेंा को तंबाकू इंडस्ट्री के हथकंडे से बचाना और उन्हे तंबाकू और निकोटिन के इस्तेमाल से रोकना’’ की थीम रखी गई है। इस दौरान युवा वर्ग को किसी भी तरह के तम्बाकू का उपयोग करने से हतोत्साहित करने के लिए जागरुकता कार्यक्रम पर जोर देने पर जोर दिया जायेगा। सवाई मान सिंह चिकित्सालय जयपुर के कान नाक गला विभाग के आचार्य डॉ. पवन सिंघल ने कहा कि ‘‘तंबाकू का धुआं इनडोर प्रदूषण का बहुत खतरनाक रूप है, क्योंकि इसमें 7000 से अधिक रसायन होते हैं, जिनमें से 69 कैंसर का कारण बनते हैं। तंबाकू का धुआं पांच घंटे तक हवा में रहता है, जो फेफड़ों के कैंसर, सीओपीडी और फेफड़ों के संक्रमण को बढ़ाता है।’’ धूम्रपान करने वालेां को केारोना के संक्रमण खतरा भी अधिक रहता है, क्योकि वह बार-बार सिगरेट व बिड़ी को मुंह में लगाते है। धूम्रपान करने वालों के फैंफड़ों की क्षमता भी कम हो जाती है, जिससे केारोेना संक्रमण हेाने पर मौत की संभावना कई गुणा तक बढ़ जाती है। इसी तरह, छोटे बच्चों को जो घर पर निष्क्रिय धूम्रपान के संपर्क में आते हैं, उन्हें अस्थमा, निमोनिया और ब्रोंकाइटिस, कान में संक्रमण, खांसी और जुकाम के बार-बार होने वाले संक्रमण और बार – बार श्वसन संबधी समस्याएं होती हैं।
स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक: डॉ. सिंघल बतातें है कि जब कोई व्यक्ति सिगरेट का सेवन करता है, तो उसका धुंआ शरीर के अच्छे कोलेस्ट्रॉल को घटा देता है और बुरे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ा देता है। इस कारण हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। वहीं तंबाकू के सेवन से पुरुषों के शुक्राणु और महिलाओं के अंडाणु बनाने की क्षमता कमजोर होती है। वहीं, प्रेगनेंसी के दौरान अगर माता-पिता सिगरेट पीते हैं या तंबाकू का सेवन करते हैं तो इससे बच्चे के दिमाग और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
हर दिन नए कस्टमर की जरुरत: देश दुनियां में प्रतिदिन तंबाकू इंडस्ट्री को नए उपयोगकर्ता की जरुरत हेाती है, जिसके चलते वे तंबाकू उत्पादों केा नए रुप रंग में लेकर आते है। ताकि वे युवाओं को सीधे तौर पर आकर्षित कर सकें। पूरी दुनियंा में 80 लाख कस्टमर प्रतिवर्ष मर रहे है, इसलिए ये लोग नए कस्टमटर को जेाड़ने के लिए भी इस तरह के हथकंडे अपनाते है।
कोरोना संक्रमण का बढ़ता खतरा: चबाने वाले तंबाकू यूजर इन दिनो कोरोना संक्रमण केा फैलाने में भी बढावा दे रहे है। तंबाकू चबाने वाला यूजर बार बार पीक थूकता है। इसी पीक में लंबे समय तक कोरोना का संक्रमण रहता है। सरकार के द्वारा सार्वजनिक स्थानेंा पर थूकने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है।
राजस्थान एक नजर: डॉ.सिंघल ने बताया कि ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2017 के अनुसार राजस्थान में वर्तमान में 24.7 प्रतिशत लोग (5 में से 2 पुरुष, 10 में से 1 महिला यूजर) किसी न किसी रुप में तंबाकू उत्पादों का उपभोग करते है। उन्होने बताया कि राज्य सरकार के सार्थक प्रयासेंा से तंबाकू नियंत्रण में हो रहे कार्यों से युवाअेां में इनके सेवन की औसत उम्र अब 18 वर्ष है, जोकि 2009-10 में 17 वर्ष थी। जिसमें 13.2 प्रतिशत लोग धूम्रपान के रुप में तंबाकू का सेवन करते है, जिसमें 22.0 प्रतिशत पुरुष, 3.7 प्रतिशत महिलांए शामिल है। यंहा पर 14.1 प्रतिशत लेाग चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का प्रयोग करते हुए है, जिसमें 22.0 प्रतिशत पुरुष व 5.8 प्रतिशत महिलाए है। इसके साथ ही सबसे अधिक प्रदेश में 38.8 प्रतिशत लोग घरेां में सेकंड हैंड स्मोक का शिकार हेाते है।
भारत की स्थिति: डॉ.सिंघल ने बताया कि ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2017 के अनुसार, भारत में 15 वर्ष से अधिक उम्र के युवा वर्तमान में किसी न किसी रूप में तम्बाकू का उपयोग करते हैं ऐसे वयस्कों की संख्या 28.6 प्रतिशत (27 करोड़) है।
इस तरह हो सकेगा निंयत्रण: युवाओं को इससे बचाने के लिए तंबाकू उद्योगों द्वारा अपने उत्पादों के प्रति आकर्षित करने के प्रयासों पर प्रभावी अंकुश, बच्चों व युवाओं को निंरतर तंबाकू से होने वाले दुष्प्रभाव के प्रति निंरतर जागरुक करने तथा तंबाकू उत्पादों के विज्ञापनों पर भी रोक लगाने की जरुरत है। अधिकतर युवा वर्ग शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करते समय ही इन तंबाकू उत्पादो का सेवन शुरु कर देता है। इसलिए शिक्षण संस्थाओं को तंबाकू मुक्त बनाने की महती आवश्यकता है। इसके साथ बच्चों व युवाओं को तंबाकू की पहुंच से दूर रखने के लिए तंबाकू निंयत्रण अधिनियम 2003 तथा किशोर न्याय अधिनियम की धारा 77 की प्रभावी अनुपालना कराने की जरुरत है। सिगरेट की खुली बिक्री पर प्रतिबंध है लेकिन इसकी भी पालना नही हो पा रही है। खुली सिगरेट खरीदना युवाओं के लिए सुगम है, इसलिए खुली सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध को प्रभावी बनाये जाने की जरुरत है।
बढ़ती तकनीक से बढ़ा खतरा: युवाओं को तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादेां की शुरुआत कराने के लिए तंबाकू कंपनियां हर दिन नए हथकंडे अपना रही है। जिसमें अभी ई सिगरेट मुख्य है। जिसके कई तरह के सुगंधित फलेवर बाजार में मिल रहे है। जिसमें नए नए निकोटिन उत्पाद शामिल है, जो युवाअेंा को आकर्षित करते है। जबकि भारत सरकार द्वारा सितंबर 2019 में ई सिगरेट पर प्रतिबंध लगाया गया जा चुका है। इस पर प्रतिबंध के बावजूद भी इसकी बिक्री जारी है।