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कला में गुरु शिष्य परंपरा का विशेष महत्त्व:  राजेंद्र प्रसाद

• राज्य ललित कला अकादमी एवं “कला दीर्घा” अंतरराष्ट्रीय दृश्यकला पत्रिका द्वारा आयोजित “हौसला” प्रदर्शनी का समापन

• नियमित कला सृजन और प्रदर्शन से ही हम अपनी पहचान बना सकते हैं: संदीप भाटिया

• कला में घराने की खुशबू आनी चाहिए: डॉ अवधेश मिश्र

लखनऊ। राज्य ललित कला अकादमी उत्तर प्रदेश एवं कला दीर्घा अंतरराष्ट्रीय दृश्य कलापत्रिका के आयोजन हौसला चित्रकला प्रदर्शनी का आज समापन हुआ।

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मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ चित्रकार आचार्य राजेंद्र प्रसाद और विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ प्रिंटमेकर संदीप भाटिया उपस्थित थे जिन्हें पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र, प्रदर्शनी का केटलाग और स्मृति चिन्ह प्रदान कर राज्य ललित कला अकादमी उत्तर प्रदेश की निदेशक डॉ श्रद्धा शुक्ला, कला दीर्घा पत्रिका के संपादक डॉ अवधेश मिश्र एवं सहसंपादक डॉ लीना मिश्र द्वारा अभिनंदन किया गया।

कला में गुरु शिष्य परंपरा का विशेष महत्त्व:  राजेंद्र प्रसाद

डॉ अवधेश मिश्र ने प्रदेश की कला के उन्नयन में ललित कला अकादमी उत्तर प्रदेश के योगदान और भारतीय कला के प्रलेखन एवं वैश्विक स्तर पर उसके प्रचार प्रसार में कला दीर्घा अंतरराष्ट्रीय दृश्य कलापत्रिका के योगदान पर चर्चा करते हुए उसकी दो दशक की यात्रा पर प्रकाश डाला।

मुख्य अतिथि आचार्य राजेंद्र प्रसाद ने कला में गुरु शिष्य परंपरा पर प्रकाश डालते हुए उदाहरणों सहित आज उन मूल्यों की आवश्यकता पर बल दिया।

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वहीं विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कलाकार संदीप भाटिया ने कलाकारों के द्वारा एक स्वर में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपस्थिति बनाने पर जोर दिया। प्रदर्शनी की क्यूरेटर डॉ लीना मिश्र ने अतिथियों के प्रति आभार प्रकट किया।

कला दीर्घा पत्रिका के संपादक डॉ अवधेश मिश्र ने बताया कि शीघ्र ही एक नए कांसेप्ट के साथ कला दीर्घा के बैनर से नई प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा।

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