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एमडीआर टीबी पर विषय विशेषज्ञों ने KGMU में कार्यशाला में किया मंथन, ड्रग रेजिस्टेंस टीबी का निदान बड़ी स्वास्थ्य चुनौती : कुलपति

लखनऊ। देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के प्रधानमंत्री के संकल्प को पूरा करने में ड्रग रेजिस्टेन्स टीबी का निदान आज भी एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती के रूप में है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) इस चुनौती को स्वीकार करते हुए प्रदेश को क्षय उन्मूलन में पूर्ण सहयोग व नेतृत्व प्रदान करेगा। कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (डा.) बिपिन पुरी ने इस बारे कहा कि इसके लिए केजीएमयू के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो प्रदेश के सभी मेडिकल कालेज के साथ ही जिला क्षय रोग इकाइयों का संवेदीकरण व मेंटरिंग करेगा।

क्षय उन्मूलन को हर स्तर पर सहयोग का कुलपति ने दिया आश्वासन

KGMU ने टीबी से लड़ने कई लिए कसी कमर

शनिवार को KGMU में एमडीआर टीबी को लेकर आयोजित राज्यस्तरीय हाईब्रिड कार्यशाला के दौरान उन्होने कहा कि इसके साथ ही क्षय उन्मूलन को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर तैयार नीतियों को प्रदेश में क्रियान्वित करने में भी मदद करेगा| डॉ. पुरी ने कहा कि रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग अपनी स्थापना का 75वाँ वर्ष मना रहा है और इसी क्रम में आयोजित किए जा रहे 75 कार्यक्रमों की कड़ी में यह कार्यशाला आयोजित की गई है। डॉ. पुरी ने कहा कि टीबी की जांच का दायरा बढ़ाने की सख्त जरूरत है ताकि टीबी के मरीजों की जल्द पहचान हो सके और मरीजों को इलाज कर स्वस्थ बनाया जा सके। इसके साथ ही टीबी मरीजों को नोटिफ़ाई करना भी बहुत जरूरी है ताकि उनका हर स्तर पर फालोअप भी सुनिश्चित कराया जा सके।

इस अवसर पर, पीजीआई चंडीगढ़ में पलमोनरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष रहे पद्मश्री डॉ. दिगम्बर बेहरा ने कहा कि वर्ष 1943 से पहले टीबी के उपचार के लिए कोई दवा नहीं थी लेकिन अब पिछले सात वर्षों में न सिर्फ टीबी की नई दवाएं आईं हैं बल्कि टीबी की जांच के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है । इस अवसर पर केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने एमडीआर टीबी मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के दुष्प्रभावों पर प्रकाश डाला। कार्यशाला में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टीबी एंड रेस्परेटरी डिजीजेज दिल्ली के डॉ. रूपक सिंगला ने एमडीआर टीबी के उपचार में प्रयोग होने वाली दवाओं के बारे में विस्तार से बताया और इन दवाओं का एमडीआर और एक्सडीआर मरीजों के मामलों में किस तरह से इस्तेमाल किया जाए के बारे में भी बताया।

कार्यशाला में बच्चों की टीबी पर एक विशेष व्याख्यान में लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज दिल्ली के बाल रोग विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. वरिंदर सिंह ने बताया कि देश में प्रति वर्ष लगभग ढाई लाख बच्चे टीबी से ग्रसित होते हैं । बच्चों में कुपोषण व टीबी का आपस में बहुत गहरा संबंध है । कुपोषण ग्रसित बच्चों को टीबी होने की संभावना ज्यादा रहती है । कार्यशाला में इस सत्र की अध्यक्षता कर रहीं एसजीपीजीआई की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने बताया कि जब तक हम बच्चों के कुपोषण की समस्या से निजात नहीं पा लेते तब तक बच्चों की टीबी का उन्मूलन नहीं किया जा सकता

इस अवसर पर केजीएमयू के प्रति कुलपति डॉ. विनीत शर्मा, जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. कैलाश बाबू भी उपस्थित रहे। कार्यशाला का संचालन रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. ज्योति बाजपेई ने किया । इस अवसर पर केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के समस्त चिकित्सक, जूनियर डाक्टर्स तथा शहर के 150 से अधिक प्रख्यात चिकित्सक उपस्थित रहे । कार्यशाला में 500 से अधिक चिकित्सक ऑनलाइन भी जुड़े ।

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