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अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल लखनऊ में विदेशी मरीज का हुआ सफल किडनी ट्रांसप्लांट

अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल लखनऊ मे अल्ट्रा मॉडर्न मेडिकल टेक्नोलॉजी द्वारा विदेश से आए मरीज का सफल किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है। हॉस्पिटल में कैमरून (अफ्रीका) से आए रोगी का सफल किडनी ट्रांसप्लांट किया गया है। ऑपरेशन के बाद मरीज और डोनर दोनों की हालत सामान्य है, जल्द ही अपने देश लौट जायेंगे। अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के सीईओ व एमडी डॉ. मयंक सोमानी ने बताया कि उत्तर प्रदेश मेडिकल टूरिज्म का हब बनता जा रहा है।
आज न केवल देश में रहने वाले मरीज उत्तर प्रदेश में आकर अपना इलाज करवा रहे हैं।बल्कि विदेश के मरीजों ने भी उत्तर प्रदेश का रूख करना शुरू कर दिया है। अपोलोमेडिक्स में ट्रांसप्लांट प्रोग्राम पिछले दो साल से चल रहा है। जिसमे हम कई सफल किडनी ट्रांसप्लांट कर चुके हैं। अपोलोमेडिक्स लखनऊ में हम लिविंग डोनर, मृत डोनर (ब्रेन डेड) व स्वैप ट्रांसप्लांट विधि से किडनी ट्रांसप्लांट कर रहे हैं।
नेफ्रोलॉजी एवं किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के निदेशक एवं विभागाध्यक्ष प्रो. अमित गुप्ता ने बताया कि कैमरून (अफ्रीका) के रहने वाले 62 वर्षीय मरीज की किडनी फेल हो गयी थी। वे एक खिलाड़ी हैं, उन्हें हाई बीपी की शिकायत के कारण उनकी किडनी खराब हो गई थी। वे डायलिसिस पर आ गए थे। वे शुरुआत में अपना इलाज कैमरून में करवा रहे थे। लेकिन  किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा न होने के  कारण उन्होंने भारत आने का निर्णय किया। उन्होंने इंटरनेट से जानकारी कर लखनऊ के अपोलो हॉस्पिटल में संपर्क कर यहाँ पर अपनी किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी करवाई।
किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. आदित्य शर्मा ने बताया कि इस किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी में डोनर की किडनी को मिनीमल इंवेजिव तकनीक यानि लैप्रोस्कोपी विधि द्वारा निकाला गया। जो कि सबसे अत्याधुनिक तकनीक है। इस तकनीक में एक छोटे चीरे द्वारा डोनर की किडनी निकाली जाती है। जिससे डोनर को कम से कम परेशानी होती है और डोनर दो से तीन दिन में रिकवर कर लेता है। उन्होंने आगे बताया कि डोनर की सर्जरी में दो से ढाई घंटे का समय लगता है। मरीज व रेसिपियेंट के ट्रांसप्लांट में करीब तीन घंटे का समय लगता है। किडनी फेलीयर की समस्या से आज काफी लोग ग्रसित हैं लेकिन, केवल एक से दो प्रतिशत लोगों को ही किडनी मिल पाती है। ऐसे में अंगदान द्वारा ट्रांसप्लांट आसानी से किया जाता सकता है और लोगों को जीवनदान मिल सकता है। इसलिए अंगदान को लेकर लोगों में जागरुकता फैलाई जानी चाहिए और अधिक से अधिक लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करना चाहिए।

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