सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अरविंद केजरीवाल को कड़ी फटकार लगाई है। दिल्ली सरकार को यह फटकार दिल्ली एनसीआर रैपिड रेल प्रोजेक्ट को लेकर लगाई गई है। प्रोजेक्ट के लिए पैसे की कमी की बात कहने पर शीर्ष कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए पूछा कि विज्ञापन पर करोड़ों रुपए खर्च करने के लिए पैसे हैं।
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लेकिन इतनी जरूरी सुविधा के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च के लिए पैसे नहीं हैं? इस मामले की सुनवाई जस्टिस एस के कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच कर रही थी।
जस्टिस कौल ने विज्ञापनों के लिए किए गए बजटीय आवंटन के बारे में सूचित किए जाने पर दिल्ली सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट एएम सिंघवी से कहा कि या तो आप भुगतान करें या हम आपका विज्ञापन बजट कुर्क कर लेंगे। इसके बाद सिंघवी ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि भुगतान किया जाएगा, लेकिन उचित समयावधि में किश्तों में भुगतान की सुविधा मांगी। जस्टिस कौल ने माना कि भुगतान अनुसूची स्वयं समय की अवधि में फैली हुई है। बेंच को बताया गया कि राज्य निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार संबंधित परियोजनाओं के लिए बजटीय प्रावधान करेगा।
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने जस्टिस एसके कौल और सुधांशु धूलिया की बेंच के सामने रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए अपनी ओर से फंड देने में असमर्थतता जताई थी। इसके बाद कोर्ट ने दिल्ली सरकार से विज्ञापन पर खर्च हुए पैसों का हिसाब मांग लिया था। दिल्ली सरकार की तरफ से पेश जवाब में बताया गया कि बीते तीन साल मे विज्ञापन पर 1100 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि विज्ञापन पर इतना खर्च किया जा सकता है तो जरूरी इन्फ्रा के लिए पैसे क्यों नहीं दिए जा सकते हैं।