लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता Surendranath सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नसीहत देते हुये कहा कि जनपदों के नाम बदल देने से प्रदेश का विकास होने वाला नहीं है क्योंकि विकास का रास्ता गांव से होकर जाता है। खेत और खहिलान के साथ साथ देश का किसान जब तक खुशहाल नहीं होगा तब तक विकास का सपना, सपना ही रहेगा। लगभग 400 वर्ष बाद इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया गया एवं इससे पूर्व मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलकर पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन किया गया जिसके सम्बन्ध में केवल इतना कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी ने नाम परिवर्तन करके ही अपने विकास की इतिश्री मान ली है।
सरकार का विकास से कोई वास्ता ही नहीं : Surendranath
श्री त्रिवेदी ने कहा कि जब किसी जनपद का नाम बदला जायेगा तो करोड़ो का राजस्व भार प्रदेश सरकार पर पडे़गा क्योंकि सरकारी विभागों के साइन बोर्ड के साथ साथ प्रिन्टिंग सामग्री एवं कम्प्यूटर साफ्टवेयर के साथ साथ रेलवे और परिवहन विभाग की टिकट प्रिन्टिग मशीनों आदि में कई करोड रूपये खर्च होंगे। जिसका सीधा असर प्रदेश की जनता पर पडे़गा। यदि इसी धनराषि से इलाहाबाद में कोई फैक्ट्री स्थापित कर दी जाती अथवा किसी बंद पडी फैक्ट्री का संचालन कर दिया जाता तो पूर्वांचल के हजारों मजदूरों को रोजगार मिल जाता और उन्हें गुजरात या महाराष्ट्र में जाकर मार न खानी पड़ती। ऐसा करने से प्रदेश में कहीं से विकास नजर आने लगता परन्तु खेद है कि मुख्यमंत्री महोदय का विकास से कोई दूर दूर तक वास्ता ही नहीं है।
रालोद प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश का वास्तविक विकास शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग की सजगता से ही सम्भव है क्योंकि चारो ओर बेसिक पाठशालाओं में तथा प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रों में लापरवाही का बोलबाला है। पाठशाला में शिक्षकों का अभाव है तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डाक्टरों और दवाओं का अभाव प्रदेश सरकार की विकास की नीयत पर प्रकाश डाल रहा है। जिलों के नाम बदलना वास्तविक मुददों से जनता का ध्यान भटकाने के साथ साथ राजकीय कोष का दुरूपयोग करने के अतिरिक्त कुछ नहीं है।