कंगाली के दौर से गुजर रहा पाकिस्तान अब पश्चिमी देशों से आर्थिक मदद पाने के लिए पाला बदलने की तैयारी में है। बीते साल यूक्रेन पर हुए रूसी हमले के दौरान ही पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम इमरान खान ने रूस का दौरा किया था।
पाकिस्तान को उम्मीद थी कि भारत की तरह ही रूस से वह भी सस्ता तेल ले सकेगा। इसके अलावा बड़े पैमाने पर गेहूं की सप्लाई की चाहत भी थी, जो पूरी नहीं हो सकी। रूस ने भारत की तरह पाकिस्तान को रियायती दरों पर तेल की सप्लाई करने से इनकार कर दिया था। इसके अलावा कंगाली के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान को आईएमएफ से भी लोन नहीं मिल पा रहा है।
इस तरह एक साल के अंदर ही पाकिस्तान ने पाला बदल लिया है। वह बीते साल तक रूस के पाले में दिख रहा था और युद्ध को लेकर सीधे तौर पर कुछ भी बोलने से बच रहा था। ऐसे में उसकी यह नीति पाला बदलने वाली है। माना जा रहा है कि संकट की घड़ी में वह एक बार फिर से चीन और रूस जैसे देशों की बजाय अमेरिका का रुख कर सकता है। पिछले दिनों यह सवाल भी पाकिस्तान में उठा था कि आईएमएफ पर अमेरिका का प्रभाव है और इसी के चलते लोन नहीं मिल पा रहा है।
ऐसे में पाकिस्तान ने पश्चिमी देशों का रुख किया है और उनसे लोन की एवज में यूक्रेन को 40 युद्धक टैंक दे सकता है। T-80UD टैंकों की खरीद पाकिस्तान ने 1980 के दशक में यूक्रेन से ही की थी। अब वह इन्हें वापस यूक्रेन को ही देने जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान संकट की स्थिति में पोलैंड, जर्मनी और यूके के जरिए यूक्रेन को सस्ते हथियार मुहैया करा रहा है ताकि कुछ रकम हासिल कर सके। इन टैंकों से पहले भी पाकिस्तान कई हथियार यूक्रेन को सप्लाई कर चुका है।