साल 2015 की बात है, तब मैं छोटे-छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था. इसी बीच मैं खांसी-बुखार से पीड़ित हो गया. जांच के बाद पता चला कि मुझे टीबी हो गया है. यह जानकारी फैलते ही सभी बच्चे मुझसे ट्यूशन पढ़ना छोड़ दिये. मेरे पिताजी कपड़े की दुकान चलाते थे. ...
Read More »Tag Archives: मुजफ्फरपुर
क्यों लड़कों की तरह पढ़ नहीं सकती लड़कियां?
क्या लड़की होना पाप है? कोई गुनाह है? आखिर क्यों लड़की को यह बार-बार एहसास दिलाया जाता है कि वह एक लड़की है? लड़कियों को बचपन से ही इस तरह से ढाला जाता है कि वह सिर्फ घर के कामों के लिए ही बनी है. बाहर की दुनिया से उनका ...
Read More »हरित आवरण से ही जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण संभव
मौसम की मार झेलते किसान एक बार और आस खो चुके हैं. खरीफ फसलों की तैयारी बेकार हो गई है. उप्र, बिहार, झारखंड सहित अन्य राज्यों की खेती चौपट होती जा रही है. किसानों के चेहरे पर मायूसी के बादल साफ दीख रहे हैं. गांवों में किसान इंद्रदेव को प्रसन्न ...
Read More »होम ट्यूशन में भी सुरक्षित नहीं लड़कियां
बिहार के मुजफ्फरपुर जिला स्थित मड़वन ब्लॉक की रहने वाली एक 16 वर्षीय नाबालिग निर्मला (बदला हुआ नाम) अपने साथ बचपन में हुए यौन दुराचार की घटना के बारे में सुनाते हुए फूट-फूट कर रोने लगी. वह बताती है कि जब 6-7 साल की उम्र में दूसरी कक्षा में पढ़ ...
Read More »ग्रामीण महिलाओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का अभाव
स्वस्थ मातृत्व और स्वस्थ शिशु ही समाज और राष्ट्र के लिए मानव संसाधन को पूरा कर सकते हैं. तभी देश का चहुंमुखी विकास संभव है. खराब पोषण और पौष्टिक आहार के अभाव में मातृत्व और बच्चों का संपूर्ण पोषण व जनन प्रभावित होता है. जिससे बच्चे कुपोषित, कमजोर, अल्पबुद्धि, रोग ...
Read More »समाज की सोच को बदलती लड़कियां
लड़कों पर नाज करने वाला समाज (society) अब लड़कियों (Girls) की कामयाबी पर गर्व महसूस कर रहा है. जिन्होंने अपनी मेहनत, जुनून और जज्बे से पितृसत्तात्मक समाज की उस धारणा को ध्वस्त किया है कि महिलाएं पुरुषों से कमजोर और कम प्रतिभाशाली होती हैं. आज कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, ...
Read More »जीविका से गरीब महिलाओं को मिल रही आजीविका
तमाम सरकारी व गैर सरकारी प्रयासों के बाद भी अपना देश निर्धनता के दंश से अभी तक उबरा नहीं है. गरीबी उन्मूलन जैसे सरकारी कार्यक्रम बस एक ख्याली नारा बनकर रह गया है. ग्रामीण भारत की एक बड़ी आबादी आज भी आर्थिक समस्याओं से जूझ रही है. भुखमरी, कुपोषण, अशिक्षा ...
Read More »पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल): कार्बन उत्सर्जन में गांव भी पीछे नहीं
शिवचंद्र सिंह तीन भाई हैं और तीनों किसान हैं. ये तीनों चिलचिलाती धूप, कड़ाके की ठंड एवं मूसलाधार बारिश की मार झेलकर भी धरती का सीना चीर अनाज उपजाते हैं, तब बमुश्किल परिवार का भरण-पोषण हो पाता है. बिहार के वैशाली जिले का एक गांव है कालापहाड़. शिवचंद्र सिंह की ...
Read More »भोजपुरी पेंटिंग को पहचान दिलाती वंदना
बिहार में कला और संस्कृति के नाम मधुबनी पेंटिंग और भाषा के रूप में भोजपुरी विश्व पटल पर अपनी पहचान रखता है. आमतौर पर लोग भोजपुरी को केवल एक भाषा के तौर पर ही जानते हैं, जबकि कला के रूप में भी इसकी एक पहचान रही है. लेकिन वर्तमान समय ...
Read More »गांवों में लड़कियों की उच्च शिक्षा के प्रति उदासीनता
किसी भी देश के विकास के लिए यह आवश्यक है कि उसके सभी नागरिक समान रूप से शिक्षित और दक्ष हों. चाहे वह शहरी क्षेत्र से हों या ग्रामीण, पुरुष हों या महिला. सभी बिना किसी भेदभाव और बाधा के सभी क्षेत्र में पारंगत हों. इसका अर्थ है कि विकास ...
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