दुनिया में जब सभ्यता का विकास नहीं हुआ था,तब हमारे ऋषि पृथ्वी सूक्त की रचना कर चुके थे। पर्यावरण चेतना का ऐसा वैज्ञानिक विश्लेषण अन्यत्र दुर्लभ है। भारत के नदी व पर्वत तट ही प्राचीन भारत के अनुसंधान केंद्र थे। लेकिन पश्चिम की उपभोगवादी संस्कृति ने पर्यावरण को अत्यधिक नुकसान ...
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