अभिलाषा (हास्य कविता) चाह नहीं साहित्य सम्मान से हे प्रभु नवाजा जाऊँ। चाह नहीं नोबेल प्राप्त कर कलम की धार पर इतराऊं। चाह नहीं पुस्तक छपवाकर वरिष्ठ लेखक मैं कहलाऊं । चाह नहीं सहयोग राशि के बूते साझा संकलन में नजर आऊँ। चाह नहीं प्रशंसा सुनकर भाग्य पे अपने इठलाऊं।। ...
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