प्राचीन शिक्षा पद्धति में आधुनिक युग की भाँति परीक्षा लेने तथा उपाधि प्रदान करने की प्रथा का अभाव था। विद्यार्थी गुरु के सीधे संपर्क में रहते थे। जब वे एक पाठ याद कर लेते तथा गुरु उससे संतुष्ट हो जाता तब उन्हें दूसरा पाठ याद करने को दिया जाता था। ...
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