हिंदी में उनके होने की एक अहमियत है, इसलिए गणेश शंकर ‘विद्यार्थी’ को जानना जरूरी है। आजादी आंदोलन के दौर में दंगाई भीड़ के बीच भाईचारा कायम करने के लिए उन्होंने जान दे दी। वह 25 मार्च, 1931 की तारीख थी, जब उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुए हिंदू-मुस्लिम दंगे ...
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