आज जब मैं वरिष्ठ पत्रकार शैलेन्द्र सिंह के साथ प्रपंच चबूतरे पर पहुंचा। तब चतुरी चाचा मुंशीजी से बतिया रहे थे। चबूतरे पर प्रपंच के दौरान दो गज की दूरी को ध्यान में रखते हुए कुर्सियां पड़ी थीं। हमेशा की तरह एक किनारे बाल्टी में पानी, मग और साबुन रखा ...
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