लखनऊ। पूरी दूनिया में लखनऊ जैसा कोई दूसरा शहर नहीं है। अवध की शाम के कहने ही क्या हैं। मुगलकालीन इमारतें इसको चार चांद लगाती है। बात इससे आगे की कि जाए तो लखनऊ महज गुंबद-ओ-मीनार नहीं, सिर्फ एक शहर नहीं कूच-ओ-बाजार नहीं। ‘लखनऊ’ यहां रहने वाले हर शख्स की कहानी ...
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