दुनिया में जब मानव सभ्यता का विकास नहीं हुआ था,उसके बहुत पहले भारत में श्रेष्ठ काव्य की रचना होने लगी थी। महर्षि बाल्मीकि पहले महाकवि थे। संस्कृत जैसी वैज्ञानिक भाषा में उनके मुख से निकले वाक्य प्रथम काव्य रूप में प्रतिष्ठित हुए। मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधी काममोहितम् ...
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