रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री संकट काल में समाज के अनेक संघठन की कार्यप्रक्रिया में परिवर्तन होता है। वैसे श्रेष्ठ साहित्य की रचना भी समाज के हितों के अनुरूप होती है। जो इसका किसी न किसी रूप में संवर्धन ना कर सके उस साहित्य को निरर्थक समझना चाहिए। अखिल भारतीय साहित्य परिषद ...
Read More »