भारत में आज भी यह मानसिकता हावी है कि कमाई करना केवल पुरुषों का ही काम है और घर का चूल्हा चौका संभालना महिलाओं का. हालांकि बदलते वक़्त के साथ शहरी क्षेत्रों में इस संकुचित सोच में बदलाव आया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी यह सोच बहुत हद ...
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जीविका से गरीब महिलाओं को मिल रही आजीविका
तमाम सरकारी व गैर सरकारी प्रयासों के बाद भी अपना देश निर्धनता के दंश से अभी तक उबरा नहीं है. गरीबी उन्मूलन जैसे सरकारी कार्यक्रम बस एक ख्याली नारा बनकर रह गया है. ग्रामीण भारत की एक बड़ी आबादी आज भी आर्थिक समस्याओं से जूझ रही है. भुखमरी, कुपोषण, अशिक्षा ...
Read More »महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाते हैं स्वयं सहायता समूह
स्वयं सहायता समूह दृष्टिकोण ग्रामीण विकास के लिए एक सक्षम, सशक्त और नीचे से ऊपर का दृष्टिकोण है जिसने विकासशील देशों में कम आय वाले परिवारों को काफी आर्थिक और गैर-आर्थिक बाह्यता प्रदान की हैं। स्वयं सहायता समूह दृष्टिकोण को गरीबी का मुकाबला करने के लिए एक स्थायी उपकरण के ...
Read More »बदहाली का जीवन जीने को विवश गाड़िया लोहार समुदाय
जालोर/राजस्थान। ‘न हो कमीज़ तो पांव से पेट ढक लेंगे, ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिए.’ ‘दुष्यंत कुमार’ का यह शेर राजस्थान के जालोर जिला स्थित बागरा कस्बे में बदहाली का जीवनयापन कर रहे गाड़िया लोहार समुदाय की कहानी को बयां करता है. कड़ाके की ठंड में ...
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