लखनऊ। जैसे शरीर में आत्मा होती है वैसे ही व्यक्तित्व में संस्कार। यदि संस्कार नहीं है तो व्यक्तित्व निष्प्राण। अपने संस्कारों से व्यक्ति और अपनी संस्कृति से समाज पहचाना जाता है। इसीलिए संस्कृति संरक्षण और संवर्धन के लिए समाज और सरकारें यथासंभव जागरूक और प्रयासरत रहती हैं कि हमारी सांस्कृतिक ...
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