विश्व गुरु भारत ने सम्पूर्ण मानवता के लिए वसुधैव कुटुम्बकम का विचार दिया था. किसी अन्य सभ्यता संस्कृति के लिए यह दुर्लभ चिंतन था. इसमें सभ्यताओं के बीच संघर्ष की कोई संभावना नहीं थी. लेकिन कालान्तर में ऐसे संघर्ष का दौर भी चला. दुनिया में शांति और सौहार्द की अभिलाषा ...
Read More »