विपिन आधारविहीन दरख्त के समान आँगन के मध्य बाँस-बल्लियों पर लेटे थे। सातों बच्चे, उनके जीवनसाथी तथा युवा-किशोर पोता-पोती, नाती-नातिन बार-बार पछाड़ें खाते उनके निष्प्राण शरीर पर गिरे जा रहे थे। देरी होने का हवाला देकर परिवारजन विपिन को लेकर चले गए। लंबे वैवाहिक जीवन में वह न के बराबर ...
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