“किसने बनाई यह रस्में, किसने बनाए रिवाज़? बेटियों के वजूद को मिटाने की साज़िश थी, या थी महिलाओं को जूती के नीचे दबाए रखने की ख़्वाहिश” सारी परंपराएं, सारे रिवाज़ और सारी बंदीशें सिर्फ़ स्त्रियों के लिए ही क्यूँ? सदियों से थोपी गई रवायत को महिलाएं भी ढ़ोती आ रही ...
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