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Tag Archives: हृदयनारायण दीक्षित

लोकमंगल हितैषी भारतीय ज्ञान परंपरा- हृदयनारायण दीक्षित

ज्ञान का उद्देश्य जानकारी पाना ही नहीं होता। ज्ञान, विज्ञान और दर्शन से समस्त मानवता का हित होता है। भारत में लगभग 5000 वर्ष पहले से ही लोकमंगल हितैषी ज्ञान परंपरा है। ऋग्वेद के ज्ञान सूक्त (10.71) में कहते हैं, “प्रारंभिक दशा में पदार्थों के नाम रखे गये। यह ज्ञान ...

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राष्ट्र बोध जगाता है सच्चा इतिहास- हृदयनारायण दीक्षित

वास्तविक इतिहासबोध राष्ट्र की विशेष शक्ति होता है। सच्चा इतिहास बोध राष्ट्र बोध जगाता है। राष्ट्रबोध जन गण मन की संजीवनी है। बच्चों को वास्तविक इतिहासबोध की शिक्षा देना राष्ट्रराज्य का कर्तव्य है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद (एनसीईआरटी) ने सम्यक विचार के बाद दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के लिए ...

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भारत वैदिककाल के पहले से है हिन्दू राष्ट्र- हृदयनारायण दीक्षित

भारतीय राष्ट्रभाव अतिप्राचीन है। इसका मूल आधार हिन्दू संस्कृति है। सम्प्रति हिन्दू राष्ट्र पर विमर्श है। हिन्दू संस्कृति के कारण यह हिन्दू राष्ट्र है। कुछ लोग भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की मांग कर रहे हैं। उनका मंतव्य स्पष्ट नहीं है। राष्ट्र राजनैतिक इकाई नहीं है। यह सांस्कृतिक अनुभूति ...

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