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सभी के लिए खास रही ODOP प्रदर्शनी

लखनऊ। यूपी के हर जिले में कुछ खास है जिसकी दुनिया भर में ब्रांडिंग की जरूरत है। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा कही गई ये बात वन डिस्ट्रक्ट वन प्रोडक्ट ODOP प्रदर्शनी देखकर सच साबित होती है। राजधानी में लगी इस प्रदर्शनी में कन्नौज के इत्र से लेकर, बदायूं का ज़री वर्क, ललितपुर की सिल्क साड़ी समेत लगभग सभी 75 जिलों के मशहूर प्रोडक्ट लगाए गए हैं। तीन दिन तक चलने वाली इस प्रदर्शनी का उद्घाटन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने की। इस दौरान राज्यपाल राम नाईक, सीएम योगी व कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी भी मौजूद रहे।

ODOP प्रदर्शनी : एक लाख का ताजमहल चर्चा का विषय

प्रदर्शनी के दौरान शजर के पत्थर से बना एक लाख का ताजमहल चर्चा का विषय रहा। बांदा से आए सुरेंद्र कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि केन नदी के पास मिलने वाले ‘शजर’ पत्थर को घिसकर इस ताजमहल को तैयार किया कया है। इस तैयार करने में लगभग सात से आठ महीने का समय लगता है। सुरेंद्र ने बताया कि कम ही लोगों को शजर पत्थर व इससे जुड़े व्यापार की जानकारी है लेकिन सरकार के सहयोग के बाद इस व्यापार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। फिलहाल बांदा में लगभग 60 लोग इस व्यापार से जुड़े हुए हैं। शजर के पत्थर से कई उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं। राष्ट्रपति को भाया बांदा का ये स्टॉल भाया।

ललितपुर के स्टॉल से साड़ी खरीदती नजर आईं मेयर साहिबा

प्रदर्शनी में बनारस की साड़ी के अलावा ललितपुर की कॉटन व सिल्क मिक्स साड़ी की भी काफी डिमांड दिखी। लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया भी ललितपुर के स्टॉल से साड़ी खरीदती नजर आईं। उन्होंने कहा कि बनारस की साड़ी को तो उन्होंने काफी जिक्र सुना था लेकिन ललितपुर की साड़ी नहीं खरीदी थी। यही कारण है वे इस स्टॉल पर काफी देर रुकीं। ललितपुर से आए अभिषेक ने बताया कि इन साड़ियों की खासियत ये है कि इन्हें कॉटव व सिल्क मिक्स होता है। इन्हें तैयार करने में कई हफ्ते का समय मिलता है। इनकी कीमत 1200 से 5 हजार के बीच है।

हैंडिक्राफ्ट प्रदर्शनी में केले के रेशे से बने बैग ने..

कौशांबी से आए एमपी शुक्ला ने प्रदर्शनी में केले के रेशे से बने बैग समते तमाम हैंडिक्राफ्ट प्रदर्शनी में लगाए। रेश के बैग, पत्तल, चप्पल समेक कई हैंडिक्राफ्ट वाला ये स्टॉल मेहमानों को काफी लुभा रहा था। एमपी शुक्ला ने बताया कि बैग की कीमत 600 से 700 रुपए तक है तो वहीं पत्तल 23 रुपए के हैं। कीमत थोड़ा ज्यादा होने का कारण उन्होंने इसके बीचे की मेहनत को बताया। केले के रेशे से बैग को तैयार करने में लगभग एक सप्ताह का समय लग जाता है। वहीं दो से तीन लोग मिलकर एक बैग तैयार कर पाते हैं। उन्हें उम्मीद है कि सरकार की मदद से उन्हें व्यापार करने में अब आसानी होगी।

कन्नौज के इत्र की डिमांड विदेशों में भी

इस दौरान कन्नौज का इत्र भी काफी चर्चा में रहा। खास बात ये कि कन्नौज से आए व्यापारी तन्मय घोष इत्र तैयार करने की मशीन साथ लाए थे। वे मेहमानों को इत्र तैयार करने की पूरी प्रकिया समझा रहे ते। उन्होंने बताया कि लगभग 300 साल से कन्नौज में इत्र का व्यापार हो रहा है। विदेशों से भी यहां के इत्र की डिमांड आती है। अब सरकार से अगर मदद मिली तो पूरी दुनिया में कन्नौज के इत्र का बोलबाला हो जाएगा।

11 किलो से लेकर 5हजार किलो तक का घंटा

एटा से आए जावेद खान ने तमाम तरह के घंटे- घंटियां व पीतल से बने दूसरे प्रोडक्ट डिस्प्ले किए थे। जावेद ने बताया कि 11 किलो से लेकर 5हजार किलो तक का घंटा एटा में तैयार होता है। इसके लिए पहले से ऑर्डर देना होता है। अब सरकार की मदद से दुनिया भर में इसे एक्सपोर्ट किया जा सकता है। इस प्रदर्शनी में बदायूं का जरी वर्क व बहराइच का गेहूं के डंठल की पेंटिंग भी चर्चा में रही। बहराइच के मोहम्मद यूनुस ने प्रदर्शनी में एक स्टॉल लगाया है। स्टॉल पर एक से बढ़कर एक खूबसूरत पेंटिंग उपलब्ध हैं। किसी में भगवान गणेश व शंकर जी को उकेरा गया है तो किसी में प्रकृति की सुंदरता को दर्शाया गया है। खासियत ये है कि सभी पेंटिंग गेहूं के डंठल से बनाई गई हैं।

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