लखनऊ। Lucknow Universityके कुलपति प्रो आलोक कुमार राय (VC Prof Alok Kumar Rai) ने 3 मार्च, को कला संकाय (Faculty of Arts) के डीन द्वारा आयोजित एक सभा में शिक्षकों को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने शिक्षा जगत में अंतःविषय अनुसंधान और सहयोग के महत्व (underlined the Importance of Interdisciplinary Research and Collaboration) को रेखांकित किया। यह कार्यक्रम विशेष रूप से पुराने और नए शिक्षकों को परस्पर एक दूसरे को पहचानने और समन्वय के लिए आयोजित
अपने संबोधन में, प्रो राय ने अकादमिक तालमेल को बढ़ावा देने और बौद्धिक विमर्श को मजबूत करने में ऐसे आयोजनों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कला संकाय में सबसे अधिक शिक्षकों की नियुक्तियां हुई हैं, जो अकादमिक परिदृश्य पर इसके बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।
प्रो राय ने पिछले कुछ वर्षों में छात्रों के प्रवेश और अकादमिक परिणामों में प्राचीन भारतीय इतिहास, अंग्रेजी, समाजशास्त्र और लोक प्रशासन जैसे विभागों के उल्लेखनीय प्रदर्शन की सराहना करते हुए साझा दृष्टिकोण के तहत विविध विषयों को सफलतापूर्वक एकजुट करने के लिए कला संकाय के डीन की विशेष प्रशंसा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब विभागाध्यक्ष उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं, तो उनका नेतृत्व उनके संबंधित विभागों की समग्र उत्कृष्टता में परिवर्तित होता है।
VC प्रो राय ने ने कुछ क्षेत्रों में प्रतिभा के कम उपयोग पर चिंता भी व्यक्त करते हुए शिक्षकों से उपलब्ध शैक्षणिक संसाधनों की पूरी क्षमता का उपयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ज्ञान चाहने वाले छात्रों की बौद्धिक आवश्यकताओं को पढ़ाना और पूरा करना सबसे संतुष्टिदायक व्यवसायों में से एक है, उन्होंने शिक्षकों को जुनून और समर्पण के साथ अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा जगत की यात्रा खोज और संतुष्टि की यात्रा है, जहाँ संकाय सदस्यों को न केवल ज्ञान प्रदान करना चाहिए, बल्कि छात्रों को knowledge creation के लिए प्रेरित भी करना चाहिए। उन्होंने संकाय सदस्यों से अपने योगदान पर विचार करने और विभाग के भीतर विभिन्न हितधारकों के साथ सह-निर्माण में सक्रिय रूप से शामिल होने का आह्वान किया।
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इस कार्यक्रम में डॉ रोली मिश्रा, डॉ अन्विता वर्मा, डॉ सत्यकेतु, डॉ अभिषेक, डॉ माद्री और डॉ अलका पांडेय ने अपने काव्य पाठ और गायन को प्रस्तुत किया।