आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान से आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने अमीरों से अधिक कर वसूलने और गरीबों की रक्षा करने का आग्रह किया है, क्योंकि देश जुलाई में वैश्विक ऋणदाता से बेलआउट हासिल करने के बाद दोहरे अंक की मुद्रास्फीति की मार झेल रहा है।
गुरुवार को मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि न्यूयॉर्क में 78वें संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) सत्र के मौके पर अंतरिम प्रधान मंत्री अनवारुल हक काकर से मुलाकात के बाद जॉर्जीवा ने कहा कि यह पाकिस्तान के लोगों के हित में है कि देश अपनी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करे और अतीत की कुछ कमियों पर ध्यान दें।
वाशिंगटन स्थित वैश्विक ऋणदाता द्वारा जुलाई में नकदी संकट से जूझ रहे देश को 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर हस्तांतरित करने के बाद पाकिस्तान में बढ़ती मुद्रास्फीति के बीच उनका बयान आया है, जो देश की खराब आर्थिक स्थिति को स्थिर करने के सरकार के प्रयासों का समर्थन करने के लिए नौ महीने के लिए 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बेलआउट कार्यक्रम का एक हिस्सा है।
अगस्त में महंगाई दर 27.4 फीसदी पहुंची
रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएमएफ की मंजूरी लेने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों ने जनता का जीवन कठिन बना दिया है, क्योंकि बिजली और पेट्रोल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी ने मुद्रास्फीति को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा दिया है। अगस्त महीने में पाकिस्तान की महंगाई दर बढ़कर 27.4 फीसदी पर पहुंच गई।
कार्यवाहक प्रधान मंत्री काकर ने भी एक्स पर पोस्ट करते हुए जॉर्जीवा के साथ अपनी बैठक को रचनात्मक बातचीत बताया और कहा कि इसने पाकिस्तान में आर्थिक स्थिरता और विकास को बढ़ावा देने के लिए हमारी पारस्परिक प्रतिबद्धता को बढ़ाने पर जोर दिया।
पीएम काकर ने किया आभार व्यक्त
मीडिया रिपोर्ट से मिली सूचना के मुताबिक प्रधान मंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक आधिकारिक हैंडआउट में कहा गया है कि काकर ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के स्टैंडबाय समझौते को वैश्विक ऋणदाता की मंजूरी के लिए आभार व्यक्त किया। हैंडआउट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने जॉर्जीवा को “देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर और पुनर्जीवित करने” के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न उपायों के बारे में जानकारी दी।
एक स्थिर और अनुकूल माहौल बनाना है लक्ष्य
पीएमओ के बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री ने पुष्टि की कि इन पहलों का लक्ष्य सतत आर्थिक विकास और निवेश के लिए एक स्थिर और अनुकूल माहौल बनाना है। इसके अलावा, समाज के कमजोर वर्गों की सुरक्षा पर भी मजबूत ध्यान केंद्रित किया गया है।