बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के मंत्री बेटे और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष संतोष सुमन के नीतीश कुमार की सरकार से इस्तीफा के बाद अब पूरी तरह साफ हो गया है कि महागठबंधन से हम को बाहर कर दिया गया है।
संतोष सुमन मांझी के इस्तीफे के बाद जेडीयू ने आक्रामक स्टैंड लेते हुए कहा कि ऐसे लोग आते-जाते रहते हैं। पार्टी अध्यक्ष ललन सिंह ने जेडीयू में हम के विलय के दबाव के आरोप को एक तरह से स्वीकारते हुए हम को छोटी दुकान तक कह दिया।
वहीं आरजेडी के नेता और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि नीतीश ने मांझी को सीएम बनाया, बेटे को मंत्री बनाया, फिर भी वो महागठबंधन में नहीं रहना चाहते हैं तो वो जानें। इस बयान से यह साफ है कि बिहार में महागठबंधन के दोनों सूत्रधार मांझी और हम को अब महागठबंधन का हिस्सा नहीं मान रहे हैं।
दबाव बनाने को पांच लोकसभा सीट मांग रहे मांझी को एक से ज्यादा सीट लड़ने तो बीजेपी भी नहीं देगी क्योंकि उसे 10 सीट में बिहार के सारे सहयोगियों को समेटना है जिसमें मांझी के अलावा चिराग पासवान, मुकेश सहनी, उपेंद्र कुशवाहा और पशुपति पारस भी शामिल हैं। एक सीट महागठबंधन में भी मांझी को आसानी से मिल जाता। इसलिए मांझी के बेटे का इस्तीफा बीजेपी के साथ एक सीट से बड़ी डील की ओर इशारा कर रही है।
संतोष सुमन के इस्तीफे के बाद से जीतन राम मांझी मीडिया के सामने नहीं आए हैं। इस्तीफे के बाद मीडिया के सामने बेटे को आगे करके मांझी ने हम का स्टैंड क्लीयर कर दिया कि वो पार्टी का विलय नहीं करेंगे।
अब इस बात की चर्चा तेज है कि मांझी बहुत जल्द बीजेपी का हाथ थामकर हम को एनडीए में शामिल करा देंगे। लेकिन इससे भी ज्यादा चर्चा इस बात की है कि बीजेपी ने ऐसी क्या डील मांझी को ऑफर कर दी जो उनको महागठबंधन में रहकर नहीं मिल सकता था।