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तीहरे हत्याकांड के आरोपीयों को मिली जमानत, अधिवक्ता संजीव वर्मा ने तर्क दिया

वाराणसी। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (द्वितीय) अशोक यादव ने की अदालत ने तीहरे हत्याकांड के आरोपितों को जमानत दे दी है। अदालत ने आरोपी नीलकंठ जायसवाल ऊर्फ शिवम लहरतारा व शशिकांत ऊर्फ जवानी कोरौत थाना लोहता निवासीगण द्वारा एक- एक लाख रुपये की दो जमानतें एवं बंधपत्र देने पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव वर्मा व उनके सहयोगी श्रेया गुप्ता, रोहित मिश्रा ने पक्ष रखा।

अभियोजन पक्ष के अनुसार हिमांशु श्रीवास्तव ने थाना मण्डुवाडीह में 9 नवंबर 2020 को प्राथमिकी मुकदमा अपराध संख्या 454 सन् 2019 धारा 364 / 34, 120बी, व 201 भारतीय दंड संहिता में निरुद्ध अभियुक्त नीलकंठ जायसवाल व शशिकांत ऊर्फ जवानी के खिलाफ दर्ज करायी थी। पंजीकृत में वादी सौरभ श्रीवास्तव ने यह आरोप लगाया था की अभियुक्तगणों ने मेरे भाई सुमित श्रीवास्तव का कबीरचौरा मंडली चिकित्सालय से 23 अक्टूबर 2019 को अपहरण करके उसकी हत्या करके मिर्जापुर में लाश फेंक दिया गया।

उपरोक्त प्रकरण में दर्ज मुकदमा अपराध संख्या 665 14 नवंबर 2020 को पुनिता देवी ने थाना रोहनियां में बृजेश कुमार विश्वकर्मा निवासी कचनार राजातालाब और राजू नामक युवक की हत्या इनलोगों ने की है। बचाव पक्ष के अधिवक्ता संजीव वर्मा द्वारा यह तर्क दिया गया कि शिव प्रसाद गुप्ता चिकित्सालय कबीरचौरा महिला चिकित्सालय पर कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है। ना ही किसी स्वतंत्र जन साक्षी द्वारा इस सुमित श्रीवास्तव को अभियुक्त नीलकंठ जायसवाल के साथ जाते हुए देखा गया और नहीं गिरफ्तारी के समय कोई स्वतंत्र जन साक्षी है। विवेचक द्वारा उलब्ध कराया गया। बचाव पक्ष की ओर से अभी तक दिया गया कि जब अपहरण की बात नहीं कही जा सकती क्योंकि स्वयं चिकित्सा अधिकारी से अनुमति लेकर अपहृत सुमित श्रीवास्तव बाहर निकला नीलकंठ जायसवाल का पुलिस के दबाव में लिया गया अपरहण का बयान है, जिसे साक्ष्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

इतना ही नहीं उपलब्ध सीडीआर सत्यापित भी नहीं है और अभियुक्त गणों की लाश भी पुलिस द्वारा अभी बरामद नहीं की जा सकी न कहीं किसी प्रकार की उस क्षेत्र में लाश छुपाए जाने का कोई साक्ष्य अभियोजन पक्ष द्वारा एकत्र किया गया, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि उसका अपहरण कर उसकी हत्या करके नीलकंड जायसवाल व शशिकांत जवानी ने उसकी हत्या कर उसकी लाश सोनभद्र जनपद में मड़िहान क्षेत्र के झाड़ियों में फेंक दिया गया। इसलिए अभियुक्त गण के ऊपर हत्या व अपहरण का आरोप नहीं बनता है और उसे रिहा किया जाए। इन दलीलों को स्वीकार करते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने दोनों की जमानत याचिका स्वीकार करते हुए उनको अवमुक्त किए जाने का आदेश पारित किया।

रिपोर्ट-जमील अख्तर

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