वाराणसी। पुराना पुल पुलकोहना स्थिति ईदगाह में सैकड़ो सालों से चली आ रही अगहनी जुमे की नमाज़ इस साल कोरोना महामारी को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों के अनुसार मात्र 200 लोगो के साथ मौलाना शकील अहमद ने अदा कराई। नमाज़ के बाद मौलाना साहब ने अल्लाह ताला के बारगाह में देश की सलामती की दुआअल्लाह ताला के बारगाह में देश की सलामती की दुआ की।
नमाज़ के बाद पार्षद हाजी ओकास अंसारी ने बताया कि अगहनी जुमा की नमाज़ की ये परंपरा साढ़े चार सौ साल पुरानी है। ये जुमा उस वक़्त इसलिए अदा की गई कि मुल्क में बेरोजगारी थी। बरसात न होने के कारण किसान परेशान थे, तब खुले आसमान के नीचे सारे लोग इकट्ठा हो कर अगहन के महीने में जुमे के दिन नमाज अदा किए और रो रोकर दुआ खानी हुई। जिसके बाद मुल्क में खुशहाली आयी।उसी परमपरा को बनारस के बुनकर बिरादराना तंजीम बाईसी के सरदार और बुनकर बिरादराना तंजीम बावनो के सरदार साहबान के सदारत में आज भी निभाई जा रही है।
नमाज़ के दौरान हाजी मतिउल्लाह, पार्षद गुलशन अली, पार्षद हाजी ओकास अंसारी, हारून अंसारी, डॉ. इम्तियाजुद्दीन, हाजी मोबिन, सरदार मोइनुद्दीन, अफ़रोज़ अंसारी, डॉ. शमशाद, सरदार नासिर, मुबारक अली, हाजी छोटक सहित बुनकर बिरादराना तंजीम बाईसी के काबिना के कई सदस्य शामिल हुए।
रिपोर्ट-जमील अख्तर