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दलित युवक मोहित की मौत से गांव में छाया मातम

लालगंज/रायबरेली। पूरे बैजू मजरे बेहटा कला गांव के दलित युवक मोहित की पुलिस कस्टडी मे हुयी मौत के बाद से गांव मे मातम के साथ साथ एक अजीब सी खामोी छायी हुयी है। लोगों के चेहरों पर अब भी पुलिस का भय व्याप्त है। दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ मोहित की मौत के मामले मे एफआईआर न दर्ज होने से लोगों मे नाराजगी भी व्याप्त है।

ग्रामीणों का कहना है कि आखिर जब मोहित की मौत बीमारी से होना पुलिस बता रही है तो मृतक मोहित का शव घर वालों को न देकर स्वयं की कस्टडी मे रायबरेली मे ही दाह संस्कार करवाना अपने आप मे शंका जाहिर करता है। गौरतलब है कि रविवार सुबह पूरे बैजू गांव के मोहित की पुलिस कस्टडी मे मौत हो गयी थी। लालगंज पुलिस ने मोहित की मौत को बीमारी से हुयी मौत बताया था।

मोहित की मौत के तीसरे देर शाम भाकपा माले के वरिष्ठ नेता विजय विद्रोही मृतक के गांव पहुंचे जहां उन्होने योगी सरकार को दलितो की हत्यारी सरकार बताते हुये तंज कसा और कहा कि पुलिस संरक्षण मे हुयी दलित की मौत पर भी भाजपा राजनीति कर रही है। उन्होने दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।

 

वहीं कई घंटे तक मोहित की मौत को छुपाये रखना भी पुलिस के ऊपर उंगली उठाने के लिये पर्याप्त साक्ष्य है। गांववालो ने मात्र कोतवाल और दो दरोगाओं को निलम्बित किये जाने को नाकाफी बताया है।आखिर 26 तारीख को तो पूरी पुलिस टीम जीप मे भरकर दोनों भाइयों मोहित और सोनू को लायी थी। सोनू को मारपीट कर छोड दिया था जब कि मोहित को मारपीट कर पुलिस बाइक चोरी के मामलो को उगलवाने मे जुटी थी ,लेकिन पुलिस अपने मकसद मे सफल नही हो पायी और रविवार की सुबह मोहित की पुलिस कस्टडी मे मौत हो जाने से मामला पूरी तरह उलट गया।

रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्रा

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