समाजवादी पार्टी के राट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार अन्नदाता किसान के साथ कई तरह के छलकपट करने की रणनीति बनाने में व्यस्त है। किसानों के खेत छीनने की मंशा के साथ प्रधानमंत्री जी ने अब उसे ‘उद्यमी‘ बनाने की ओर प्रयास करने की साजिश की ओर भी इशारा कर दिया है। इसका सीधा अर्थ है कि भाजपा सरकार अब किसानों को भी आयकर के दायरे में भी लाना चाहती है। किसान को अभी तक मिलने वाले लाभों को शीघ्र ही समाप्त कर दिया जाएगा।
समाजवादी पार्टी की स्पष्ट राय है कि किसान को अन्नदाता की श्रेणी में रहने दिया जाए। लेकिन कृषि को उद्योगों जैसी सुविधाएं मिलनी चाहिए। कृषि से सम्बन्धित तीनों कानून किसानों के हितों के विरूद्ध है। इसके खिलाफ किसानों में व्यापक आक्रोश है। उसकी योजना अन्नदाता को खेतिहर मजदूर बना देने की है। किसान की खेती कारपोरेट को सौंप दी जाएगी। उसकी फसल का सौदा भी अब बड़े एजेण्टों, व्यापारियों की मर्जी पर होगा।
वास्तव में भाजपा सरकार किसानों के साथ सिर्फ छलावा करती आई हैं। किसानों की कर्जमाफी या उनकी आय दुगनी करने की बात हो अथवा उनकी फसल की लागत का डयोढ़ा मूल्य देने की भाजपा सरकार इनमें से एक भी वादा पूरा नहीं कर पाई है। इसके बजाय सरकार तरह-तरह के प्रपंच रचने में लगी है।
अन्नदाता किसान न केवल सबका पेट भरता है अपितु देश की सीमाओं के रक्षा के लिए अपने बेटे भी देता है। जीडीपी में वृद्धि और रोजगार की उपलब्धता भी कम ज्यादा किसान से जुड़ी है। लाकडाउन के दौर में अर्थव्यवस्था में जो भारी गिरावट आई है उसके उद्धार में भी कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका आंकी गई है। भाजपा सरकार किसान को राहत देने, उसका कर्जमाफ करने, उसकी सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुनिश्चित कराने, गन्ना किसानों का बकाया समय से दिलाने आदि के मामलों में तो पूरी तरह निष्क्रिय नज़र आ रही है। जहां किसानों की जमीनों का अधिग्रहण हुआ वहां उन्हें समय से 6 गुना लाभप्रद मुआवजा भी नहीं मिला। भाजपा सरकार जनता को सिर्फ परेशान करना जानती है।