रायबरेली। सावन के अंतिम सोमवार को शहर के अयोध्यापुरी कालोनी स्थित ओंकारेश्वर मंदिर पर भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक बड़ी ही विधि विधान व उत्साह के साथ किया गया। मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया था। आज सुबह से ही मंदिर में जलाभिषेक शुरू हो गया था। सावन के चौथे सोमवार को शहर से लेकर गांवों के शिव मंदिरों में आज सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है। सावन में भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व होता है।
सावन में रुद्राभिषेक का मिलता है विशेष फल
मान्यता है कि विधि विधान से रुद्राभिषेक करने पर भोलेनाथ की कृपा बरसती है और भक्तों के सारे कष्ट हरण कर उनके लिए मोक्ष के रास्ते खोल देते हैं। इसलिए रुद्राभिषेक का सावन में विशेष महत्व बताया जाता है।
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क्या होता है रुद्राभिषेक ?
सावन में सोमवार के दिन होने वाले रुद्राभिषेक से मनवांछित फल प्राप्त होता है। शिवलिंग पर विशेष मंत्रों के साथ विशेष चीजें अर्पित करना ही रुद्राभिषेक कहलाता है। जब तक जीव पूर्ण समर्पित नही है, तब तक शिव की कृपा संभव नही है।
देव भी भाव के प्रेमी होते हैं। शिव की कृपादृष्टि पड़ते ही जीव कल्याण का अधिकारी बन जाता है। शिव महापुराण के अनुसार शिव कल्याण का दूसरा नाम ही है, लेकिन भक्त की लगन गहरी होनी चाहिए।
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भोलेनाथ को प्रिय है रुद्राभिषेक
महादेव को प्रसन्न करने का सबसे रामबाण उपाय है रुद्राभिषेक। इससे भक्त भगवान शिव से मनवांछित वरदान पा सकते हैं। भोलेनाथ सबसे सरल उपासना से प्रसन्न होते हैं लेकिन रुद्राभिषेक उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय है। इससे असंभव को भी संभव करने की शक्ति प्राप्त होती है। शिव जी की कृपा से सारे ग्रह एवं सभी बाधाओं को शांत किया जाना संभव है।
रत्नेश मिश्रा