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उत्तर प्रदेश में मौजूदा हालात मुख्यमंत्री के नियंत्रण से बाहर: अखिलेश यादव

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में हालात मुख्यमंत्री जी के नियंत्रण से बाहर हो चले हैं। पुलिस तंत्र में अराजता जैसी स्थिति बन रही है तो सचिवालय भ्रष्टाचार का केन्द्र बन गया है। किसान और छोटे कारीगर परेशानी से उबर नहीं पा रहे हैं। कोरोना के केस बढ़ते ही जा रहे हैं। भाजपा राज में अब हालात सुधरने के चूंकि आसार नहीं दिख रहे हैं तो मुख्यमंत्री जी को प्रदेश की बेहतरी के लिए अपनी कुर्सी छोड़कर प्रस्थान कर जाना चाहिए।

भाजपा के जंगलराज में पुलिस थाने अराजकता, हिरासत में मौत और बर्बर पिटाई के अड्डे बन गए हैं। पुलिस थाने के अन्दर ही एक दूसरे पर हमले की वारदात होना पुलिस व्यवस्था पर सवालिया निशान है। उत्तर प्रदेश में थाने कौन चला रहा है? भाजपा राज में मंडियों एवं दलहन केन्द्रों पर व्याप्त भ्रष्टाचार एवं मनमानी से किसान बेहाल और परेशान है। कई क्रय केन्द्रों में ताले लगे होने की सूचनाएं हैं। आखिर किसान अपनी फसल बेचने कहां जाए?

अमरोहा का ढोलक कारोबार चौपट हो गया है। यहां निर्मित ढोलक देश ही नहीं विदेश में भी प्रसिद्ध है। कारीगरों का काम सुचारू रूप से न चलने से उनके घर का खर्च चलना मुश्किल हो गया है। उनकों आर्थिक पैकेज दिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री जी एक जिला एक उद्योग की ढोल तो खूब पीटते हैं परन्तु जहां ढोलक से ही सैकड़ों लोगों की आजीविका चलती है उधर उनका ध्यान नहीं जाता है। तुकबंदी वाले बयानों का यही तो नतीजा होता है।

महिला सशक्तिकरण पर सिर्फ भाषणबाजी करने वाले मुख्यमंत्री जी महत्वाकांक्षी वूमेन पावर लाइन 181 तक नहीं चला सके, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। वैश्विक महामारी के दौर में भाजपा सरकार की नीतियों से हजारों मददगार सेविका, महिलाएं भी बेरोजगार हो गई हैं। आशा ज्योति केन्द्रों में एक साल का वेतन बकाया है। सबसे बड़ा घोटाला तो शिक्षक भर्ती का है। 69000 शिक्षक भर्ती का मास्टर माइंड भाजपा से जुड़ा बताया जाता है। बेसिक शिक्षा में अनामिका और प्रियंका जैसी कितनी ही फर्जी शिक्षिकाओं की भर्ती है। खब़र है कि लखनऊ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध काॅलेजों में भी कुछ अनामिकाएं हैं।

बिना ऊपरी साठगांठ के ऐसा घोटाला सम्भव नहीं। जहां तक भाजपा राज में भ्रष्टाचार की बात है वह उनका घरेलू उद्योग बन गया है। सचिवालय के अंदर बड़े चेहरे और बड़े अफसर भी नौकरियां और बड़े ठेके दिलाने के नाम पर लोगों को ठगने का धंधा चला रहे हैं। भाजपा मंत्रियों के स्टाफ के लोगों के इस खेल में संलिप्त रहने की पहले भी सूचनाएं थीं। सचिवालय के अन्दर एक फर्जी कार्यालय भी खुल गया और सरकार को खबर नहीं हुई। मुख्यमंत्री जी क्या यह आपके भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टालरेंस का नया उदाहरण है? भाजपा सरकार अपनी सत्ता गंवाने के अंदेशे से मानसिक संतुलन खो बैठी है। वह जाते -जाते भ्रष्टाचार से अपनी थैलियां भर लेना चाहती है। छल-बल, धन-बल से सत्ता का दुरूपयोग करना उसका आचरण है। उत्तर प्रदेश की जनता का सब्र का बांध टूट गया है, लोकतंत्र की असली ताकत अब बेसब्री से प्रतीक्षा कर रही है।

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