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दुनिया का ऐसा पहला मंदिर, जहां मां देवकी के साथ बालरूप में पूजे जाते हैं कान्हा

भगवान श्री कृष्ण के भव्य मंदिर न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में हैं। जिस भी मंदिर में हम जाते हैं, वहां भगवान कृष्ण की मूर्ति के साथ या तो राधा या फिर देवी रुक्मणी की मूर्ति लगी होती है। हम आपको एक ऐसे मंदिर की जानकारी दे रहे हैं, जहां कन्‍हैया अपनी मइया के साथ व‍िराजते हैं। यह दुनिया में पहला ऐसा मंदिर हैं, जहां भगवान कृष्ण अपनी माता देवकी के साथ नजर आते हैं।

यह मंदिर गोवा के पणजी में स्थित है। पणजी बस स्टैंड से 17 किमी की दूरी पर यह अनोखा मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर को देवकी कृष्‍ण रावलनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। ये मंदिर ही गोवा की सादगी, सुंदरता और संस्कृति का प्रतीक है और इन्ही में गोवा का इतिहास भी रचा बसा हुआ है।

देवकी कृष्‍ण मंदिर के गर्भगृह में माता देवकी और भगवान कृष्ण की प्रतिमा विराजित है। माता देवकी के पैरों के बीच बाल कृष्ण खड़ी मुद्रा में विराजित हैं। यह विशेष आसन अद्वितीय माना जाता है। श्रीकृष्ण और देवकी की प्रतिमांए काले पत्थर की हैं और इन्हें बहुत ही बारीकी से उकेरा गया है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्णक और माता देवकी के साथ ही भौमिका देवी,लक्ष्मी रावलनाथ,मल्लिनाथ,कात्यायनी और धाडा शंकर भी विराजमान हैं।

देवकी कृष्ण मंदिर बहुत ही अप्रतिम और सुंदर है। यह मंदिर मूलतः शराव द्वीप पर बसा हुआ था, जिसे पहले चूड़ामणी के नाम से जाना जाता था। इतिहासकार बताते हैं  जब वास्को द गामा पहली बार इस मंदिर में आए थे, तब देवकी मां और कृष्ण की प्रतिमा को मदर मेरी समझकर उन्होंने उनके सामने घुटने टेक दिये थे। लेकिन जब उन्हें सच्चाई का पता चला तो वे बहुत गुस्सा हुए।

देवकीकृष्ण मंदिर की कथा आपको महाभारत काल में ले जाती है। कहा जाता है कि जब कृष्ण और बलराम गोमांचल पर्वत पर जरासंध के साथ युद्ध कर रहे थे, तब व्याकुल देवकी मां अपने पुत्र को देखने के लिए गोमांचल पर्वत तक चली गयी थी। लेकिन क्योंकि देवकी मां कृष्ण को एक बच्चे के रूप में जानती थी तो वे कृष्ण को नहीं पहचान पायी। इसी कारण कृष्ण ने उनके लिए फिर से बच्चे का रूप धारण किया और देवकी मां ने उन्हें अपनी गोद में उठा लिया। तब से यहां पर उनकी आराधना इसी रूप में की जाती है।

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