नई दिल्ली: पिछले दिनों पश्चिमी विक्षोभ के असर से कई राज्यों में बारिश हुई और तापमान में गिरावट देखी गई, इससे लोगों को गर्मी से राहत मिली थी। मौसम सुहावना हो गया था, लेकिन अब उत्तर भारत में गर्मी का दौर शुरू होने वाला है। मौसम विभाग के मुताबिक, आने वाले दिनों में तापमान और बढ़ने वाला है और फिलहाल बारिश के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में पिछले वर्ष की तरह इस साल भी भीषण गर्मी और बिजली की जबरदस्त मांग देखने को मिल सकती है। इस वर्ष बिजली की डिमांड बढ़कर 270 गीगावॉट की ऊंचाई तक पहुंचने का अनुमान है।
बिजली क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि 2024 में भीषण गर्मी के चलते बिजली की डिमांड के सारे रिकॉर्ड टूट गए थे। इस वर्ष भी गर्मी ज्यादा पड़ने की संभावना है। ऐसे में बिजली की मांग में तेजी दिखाई दे सकती है। लेकिन इस साल भी मांग को ताप बिजली के सहारे पूरा किया जाएगा। सरकार ने संभावित मांग को पूरा करने के लिए ताप बिजली संयंत्रों के पास 5 करोड़ टन कोयले का स्टॉक तैयार किया है।
केंद्रीय कोयला और खान मंत्रालय ने फरवरी में बताया था कि अगले वित्त वर्ष के लिए कोयले की मांग 90.6 करोड़ टन तक पहुंचने का अनुमान है। सूत्रों का कहना है कि, 24 जनवरी तक ताप बिजली संयंत्रों में कोयले का स्टॉक 4.7 करोड़ टन से अधिक हो चुका था। अब हमारे ताप बिजली संयंत्रों के पास 5.1 करोड़ टन से ज्यादा कोयला उपलब्ध है। हम आगामी गर्मी को देखते हुए किसी भी संकट और खतरे की स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
दरअसल, भीषण गर्मी के दौरान उत्तर क्षेत्र और मध्य क्षेत्र में बिजली की डिमांड बढ़ जाती है। लेकिन कुछ वर्षों से पूर्वी क्षेत्र में गर्मी और दक्षिण क्षेत्र में भारी औद्योगिक मांग के चलते बिजली की मांग बढ़ी रही हैं। मंत्रालय इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए आपूर्ति की योजना तैयार करने में जुटा है। इस बीच केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने पनबिजली परियोजनाओं को जल संरक्षित करने की सलाह दी है ताकि अत्यधिक मांग वाले महीनों में आपूर्ति बढ़ाई जा सके। साथ ही कोयले से चलने वाली बिजली उत्पादन इकाइयों को उनके इष्टतम स्तर पर परिचालन का निर्देश दिया गया है। वहीं, गैस से चलने वाली बिजली उत्पादन इकाइयां पहले की ही तरह एक विशेष योजना के तहत परिचालन करेंगी। मंत्रालय का कहना है कि,मांग को पूरा करने में अक्षय ऊर्जा से काफी मदद मिलने की उम्मीद है लेकिन ताप बिजली इकाइयों की हिस्सेदारी अधिक रहेगी।