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संसद में प्रधानमंत्री: महाकुंभ में पुरे विश्व ने किया भारत के विराट स्वरूप का दर्शन

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह एवं महाकुंभ ने तय किया सहस्राब्दी के लिए राष्ट्र का लक्ष्य

नई दिल्ली, (दया शंकर चौधरी)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने मंगलवार को संसद में पूरे रौ में नजर आये और विगत दिनों में संपन्न हुए महाकुंभ (Maha Kumbh) समेत हर चीज को अपनी उपलब्धियों (Achievements) में शुमार किया। लोकसभा (Lok Sabha) में बोलते हुए पीएम मोदी ने महाकुंभ की भव्य सफलता के लिए सरकार (Government), समाज (Society) और इसमें शामिल समर्पित कार्यकर्ताओं के प्रयासों की सराहना करते हुए सभी का आभार व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि कुंभ में भारत के विराट स्वरूप का दर्शन कर पूरा विश्व आश्चर्यचकित (Surprised) है।

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पीएम मोदी ने महाकुंभ के भव्य आयोजन के लिए लोगों के अथक प्रयासों को रेखांकित करते हुए इसकी तुलना गंगा को धरती पर लाने के पौराणिक भागीरथ प्रयास से किया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ ने दुनिया को भारत की भव्यता के दर्शन कराये। प्रधानमंत्री ने कहा कि महाकुंभ लोगों के अटूट विश्वास से प्रेरित सामूहिक संकल्प, भक्ति और समर्पण की अभिव्यक्ति है।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि महाकुंभ में राष्ट्रीय चेतना की जागृति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कुंभ की यह चेतना राष्ट्र को नए संकल्पों की ओर प्रेरित करती है और उसे पूरा करने के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ ने राष्ट्र की क्षमताओं के बारे में कुछ लोगों की शंकाओं और आशंकाओं का भी जवाब दिया। प्रधानमंत्री ने सदनकहा कि प्रयागराज महाकुंभ से ‘एकता का अमृत’ और कई अन्य अमृत निकले हैं।

प्रधानमंत्री ने गत वर्ष अयोध्या में हुए राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह और इस वर्ष महाकुंभ के बीच समानता दर्शाते हुए कहा कि ये आयोजन अगली सहस्राब्दी के लिए राष्ट्र की तत्परता को सुदृढ़ करते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की सामूहिक चेतना इसकी अपार क्षमता को दर्शाती है। मानव इतिहास की तरह ही राष्ट्र के इतिहास में महत्वपूर्ण क्षण आने वाली पीढ़ियों के लिए उदाहरण के रूप में काम करते हैं। पीएम मोदी ने स्वामी विवेकानंद के शिकागो सर्वधर्म सम्मेलन में दिए गए भाषण, गांधीजी के ‘दांडी मार्च’ और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के ‘दिल्ली चलो’ का नारा देने जैसे ऐतिहासिक अवसरों को उद्धृत करते हुए कहा कि मैं प्रयागराज महाकुंभ को भी ऐसे ही एक अहम पड़ाव के रूप में देखता हूं, जो राष्ट्र की जागृत भावना का प्रतीक है।

पीएम मोदी ने मॉरीशस की अपनी हालिया यात्रा का हवाला देते हुए मॉरीशस के गंगा तालाब में प्रयागराज संगम के पवित्र जल अर्पित करने के समय भक्ति और उत्सव के गहन माहौल का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह भारत की परंपराओं, संस्कृति और मूल्यों को अपनाने, मनाने और संरक्षित करने की बढ़ती भावना को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के युवा महाकुंभ और अन्य त्योहारों में गहरी श्रद्धा के साथ सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। आज के युवा अपनी परंपराओं, आस्था और विश्वासों को गर्व के साथ अपना रहे हैं, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत के साथ उनके मजबूत जुड़ाव को दर्शाता है।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि जब कोई समाज अपनी विरासत पर गर्व करता है, तो वह भव्य और प्रेरक क्षण बनाता है जैसा कि महाकुंभ के दौरान देखा गया। इस तरह का गर्व एकता को बढ़ावा देता है और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास को मजबूत करता है। उन्होंने कहा कि परंपराओं, आस्था और विरासत से जुड़ाव समकालीन भारत के लिए एक मूल्यवान संपत्ति है, जो देश की सामूहिक ताकत और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि महाकुंभ ने कई अमूल्य परिणाम दिए हैं, जिसमें एकता की भावना सबसे पवित्र भेंट है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कैसे देश के हर क्षेत्र और कोने से लोग प्रयागराज में एक साथ आए, व्यक्तिगत अहंकार को अलग रखते हुए और ‘मैं’ की बजाय ‘हम’ की सामूहिक भावना को अपनाया और विभिन्न राज्यों के लोग पवित्र त्रिवेणी का हिस्सा बन गए।

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