रायबरेली। लालगंज नगर के चन्द्रशेखर मेमोरियल पब्लिक स्कूल मे त्रिदिवसीय रामकथा का शुभारम्भ 34 करोड देवताओ के पूजन अर्चन से प्रारम्भ हो गया है। शुक्रवार को श्रीरामकथा महोत्सव का शुभारम्भ गोरखपुर से आये मानस मर्मज्ञ हेमंत शास्त्री के द्वारा भजन कीर्तन के साथ प्रारम्भ किया गया। उसके बाद व्यास पीठ पर पधारे रीवा मध्यप्रदेस के प्रसिद्ध रामकथावाचक डा. तुलाधर शास्त्री ने भगवान राम के जन्म का लीलाओ के बखान के साथ मार्मिक वर्णन किया।
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Shri Ram कथा महोत्सव में
Shri Ram श्रीरामकथा महोत्सव में डा. शास्त्री ने कहा कि जब नारद मुनि ने अयोध्या मे पधारकर राजा दसरथ से पूछा कि सब कुशल तो है और दशरथ जी का जागरण कराते हुये नारद मुनि ने कहा कि मानव जीवन मे कुशलता के चार अंग है। निरोगी काया,माया,सुसीला नारी और सुत हो आज्ञाकारी, तब राजा दसरथ को यह ज्ञान हुआ कि वास्तव मे सर्वत्र कुशल नही है। फौरन राजा दसरथ मुनि वसिष्ठ की शरण मे पहुंचे और पुत्रेष्ट यज्ञ करने का निवेदन किया।
मुनि वसिष्ठ के द्वारा राजा दसरथ को पुत्र प्राप्ति हेतु स्वयं से सात्विक यज्ञ किया और उसका प्रसाद रानी कौसल्या,कैकई और सुमित्रा को तब जाकर अयोध्या नगरी मे राम लक्ष्मण,भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ। डा. शास्त्री ने कहा कि मनुष्य को दुख के बाद ही सुख की अनुभूति होती है।अधर्म के बाद ही धर्म का जागरण होता है।कृष्ण पक्ष के बाद ही उजाले के रूप मे शुक्ल पक्ष के दर्सन होते है। उन्होने कहा कि रावण तो कोई भी बन सकता है लेकिन राम केवल राम ही बन सकते है। राम बनने के लिये त्याग और तपस्या को अपनाना होगा।
जीवन को धर्म व सुखमय बनाने के लिये संस्कार,षिक्षा,साधन और साधना की जरूरत पडती है। जहां संस्कार माता पिता से प्राप्त होते है वहीं शिक्षा विद्यालय प्रदान करते है। संस्कारित बालक ही शिक्षा के क्षेत्र मे अग्रणी बन सकता है। सत्कर्म से ही मनुष्य दुर्भाग्य हो भी भाग्य मे बदल सकता है। इस अवसर पर आयोजक ओमप्रकाश शुक्ला,दीपप्रकास शुक्ला,डा0 एसएन सिंह,उमासंकर बाजपेयी,प्रो. अरूण कुमार सिंह,हरेस त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।